दरअसल, हर साल आठ जनवरी को स्थापना दिवस के दिन ही दीक्षांत समारोह का आयोजन किया जाता है। इसकी तैयारियां छह महीने पहले सेे ही शुरू कर दी जाती हैं। डिग्रियां छपवाने और गोल्ड मेडल तैयार कराने के लिए विश्वविद्यालय टेंडर जारी करता है। लेकिन इस बार पूर्व कुलपति की ओर से टेंडर प्रक्रिया शुरू नहीं की गई। इसके बाद अक्टूबर में आचार संहिता लगने के बाद प्रक्रिया अटक गई। दिसंबर में आचार संहिता खत्म होने के बाद विश्वविद्यालय ने टेंडर निकाला, लेकिन एक भी फर्म टेंडर में शामिल नहीं हुई। इस कारण डिग्रियां नहीं छपी।
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डिग्री, पीएचडी और गोल्ड मेडल दिए जाते
राजस्थान विश्वविद्यालय में दीक्षांत समारोह में हर साल करीब डेेढ़ लाख डिग्रियां बांटी जाती हैं। इसके अलावा 125 गोल्ड मेडल दिए जाते हैं। करीब 500 पीएचडी प्रदान की जाती है। इससे पहले कोरोनाकाल में भी दीक्षांत समारोह का आयोजन नहीं हो पाया था।
दीक्षांत समारोह में डिग्री और गोल्ड मेडल के लिए टेंडर किए जाते हैं। इसकी प्रक्रिया करीब छह महीने पहले शुरू होती है। लेकिन इस बार नहीं हुई। हमने इसकी तैयारी शुरू की तो आचार संहिता लग गई। इसी कारण दीक्षांत समारोह नहीं हो पा रहा है। पुन: टेंडर जारी कर नए सिरे से प्रक्रिया करेंगे। इसके बाद आगामी दिनों में समारोह आयोजित किया जाएगा।
अल्पना कटेजा, कुलपति, राजस्थान विश्वविद्यालय