संगठन की ओर से आग्रह किया गया कि 37 हजार से अधिक शिक्षकों का समायोजन किया जाए, ताकि इन मूल पद और उनकी एसीपी आदि की समस्याओं से निजात मिल सके। उन्होंने कहा कि शाला दर्पण पर विषय के स्वीकृत पदों अनुसार ही अधिशेष का समायोजन किया जाए। जबकि विभाग 2015 के समानीकरण नियम से अधिशेष का समायोजन करना चाहता है। यह समायोजन-2021 नियमानुसार होना चाहिए। संगठन के मुख्य महामंत्री महेंद्र पांडे ने बताया कि अधिशेष शिक्षकों के समायोजन के इन नियमों से नई विसंगतियां उत्पन्न होगी।
शिक्षक संगठन ने ये दिए सुझाव
1 . दिशा-निर्देश के अनुसार जिन सी.सै. स्कूलों में पद स्वीकृत नहीं हुए हैं, वहां स्टाफिंग पैटर्न 30-04- 2015 के तहत पद स्वीकृत मानकर समायोजन किया जाना है। स्टाफिंग पैटर्न अनुसार नव क्रमोन्नत सी.सै. स्कूल में 2 वर्ष बाद छात्र संख्या 80 होने पर अनिवार्य हिंदी और अंग्रेजी के व्याख्याता पद माने जाने हैं। दिशा निर्देश में यह स्पष्ट होना चाहिए। 2. स्टाफिंग पैटर्न 30-04-2015 में कक्षा 1 से 5 में 60 से अधिक प्रत्येक 30 छात्र पर एक अध्यापक लेवल-1 का प्रावधान है। नव क्रमोन्नत सीनियर सैकंडरी में 2 पद ही सृजित हैं। वहां 30 अतिरिक्त छात्रों पर एक अध्यापक एल-1 का पद मानकर समायोजन करना है या 2 स्वीकृत पद अनुसार यह स्पष्ट नहीं है।
3. स्टाफिंग पैटर्न 30-04-2015 में सभी संकाय की सी.से स्कूलों में शारीरिक शिक्षक का पद निर्धारित है। कई उच्च प्राथमिक से उच्च माध्यमिक में क्रमोन्नत स्कूलों में शारीरिक शिक्षक का पद आवंटित नहीं है। वहां पद स्वीकृत नहीं मानकर वहां के शारीरिक शिक्षक को समायोजन के स्पष्ट निर्देश दिए जाने चाहिए।
4. स्टाफिंग पैटर्न 30-04-2015 में सी.सै. स्कूल में कक्षा 1 से 5 में 150 से अधिक छात्र होने पर हैड टीचर (वरिष्ठ अध्यापक) पद का प्रावधान है। हैड टीचर के 50 फीसदी पद वरिष्ठ अध्यापक सामाजिक के लिए आवंटित होते हैं। अस्पष्टता में हैड टीचर का पद नहीं मानकर वहां से वरिष्ठ अध्यापक सामाजिक को अधिशेष माना जा रहा है। सभी सी.सै. स्कूलों में कला संकाय खोलने से वरिष्ठ अध्यापक सामाजिक अधिशेष हो रहे हैं।
5. महात्मा गांधी विद्यालयों में 2022 में इंटरव्यू से चयनित कार्यरत शिक्षकों के पदों को अधिशेष कर संविदा भर्ती शिक्षकों को वहीं कार्यरत रहने के नियम की विसंगति को दूर किया जाए।
आदेश में सुधार होना चाहिए
शिक्षा विभाग ने दो बार पहले भी ऐसे आदेश निकाले, लेकिन वापस ले लिए। शिक्षक संगठनों ने आपत्ति भी मांगी, लेकिन इस बार जारी आदेश में ऐसा कुछ देखने को नहीं मिला। खामियों भरा आदेश हैं। इसे सुधारा जाना चाहिए। विवाद की स्थिति पैदा होगी।
-विपिन प्रकाश शर्मा, प्रदेश अध्यक्ष, राजस्थान प्रा. एवं मा. शिक्षक संघ