समिति का संयोजक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री गजेन्द्र सिंह खींवसर को बनाया गया है, जबकि संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री सुमित गोदारा और राज्य मंत्री मंजू बाघमार इस समिति के सदस्य हैं।
पूर्ववर्ती अशोक गहलोत सरकार ने कार्यकाल के अंतिम समय में कई संगठन-संस्थाओं को 10 प्रतिशत दर पर जमीन आवंटन का फैसला किया था। चुनाव आचार संहिता से छह माह के भीतर ऐसे करीब 335 मामले हैं। इसमें से 216 संस्था-ट्रस्टों को तो आवंटन का फैसला आचार संहिता से ठीक 19 दिन पहले ही किया गया था। इन्हें आरक्षित दर की दस प्रतिशत रेट पर जमीन दी गई। इसके अलावा जयपुर, कोटा, उदयपुर, अजमेर सहित कई शहरों में निवेश और सुविधा के नाम पर सस्ती दर पर जमीन आवंटन किया गया। इनमें निजी अस्पताल, विश्वविद्यालय, स्कूल-कॉलेज प्रबंधन शामिल हैं, जिन्हें आरक्षित दर की 30 फीसदी दर पर भूमि आवंटित की गई।
राज्य सरकार ने बीस सितम्बर को हुई कैबिनेट की बैठक में भरतपुर में निरस्त खनन पट्टे/क्वारी लाइसेंस को अन्यत्र पुनर्वासित कर दिया था। अब इनकी भी समीक्षा होगी। जाति आधारित सर्वेक्षण का भी हुआ था निर्णय
कांग्रेस सरकार ने कैबिनेट की बैठक में जाति आधारित सर्वेक्षण करवाने का निर्णय किया था। इसके तहत सभी वर्गों के सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक स्तर की जानकारी एकत्रित करनी थी और सरकार ने उसी आधार पर योजनाएं बनाने का निर्णय किया था। आयोजना विभाग को इसका नोडल विभाग भी बनाया गया था।
भजन लाल सरकार का बड़ा फैसला, संकल्प पत्र के क्रियान्वयन के लिए बनाई समिति
ये भी किए थे बड़े फैसले– पिछली कांग्रेस सरकार में 19 नए जिलों का गठन किया गया
– सोलर एनर्जी कंपनियों को करीब 2 हजार हेक्टेयर जमीन आवंटित की गई
– उद्योग विभाग के जरिए प्रदेश में निवेश करने वाली कंपनियों को कस्टमाइज्ड पैकेज
– विभिन्न समाजों के बोर्ड गठन, जो चालीस से ज्यादा हैं
– महिलाओं को मुफ्त स्मार्ट फोन वितरण
– 500 पर्यटक मित्रों की नियुक्ति का निर्णय किया गया था
– महात्मा गांधी नरेगा में कार्यरत 4,966 एवं मदरसा बोर्ड के 5562 कार्मिक नियमित करने का निर्णय किया गया था।