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जयपुर

इलाज के इंतजार में बच्चों ने गंवाई जान, दुर्लभ बीमारियों के लिए स्वीकृत 53 करोड़ काम ही नहीं ले पाए

ऐसे बच्चों के इलाज में आती हैं करोड़ों रुपए की दवाइयांलोकसभा में पूछे गए सवाल के जवाब में चौंकाने वाला खुलासा
राजस्थान के अस्पतालों में भी बड़ी संख्या में दुर्लभ बीमारियों के शिकार बच्चे

जयपुरFeb 15, 2024 / 01:10 pm

Vikas Jain

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दुर्लभ बीमारियों से ग्रसित कई बच्चे इलाज के इंतजार में जहां जान गंवा रहे हैं, वहीं इनके लिए आवंटित 51 प्रतिशत राशि का उपयोग ही नहीं हो पाया है। यह खुलासा लोकसभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में हुआ है। इसके अनुसार केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय दुर्लभ बीमारियों के उपचार के लिए वर्ष 2021 से अब तक 109 करोड़ रुपए का आवंटन कर चुका है। इसमें से 53 करोड़ रुपये का ही उपयोग हो पाया है।

संसद सदस्य शशि थरूर ने बजट सत्र के दौरान दुर्लभ बीमारियों के मरीजों की संख्या और आवंटित राशि के उपयोग की जानकारी लोकसभा में मांगी थी।


कई संस्थानों ने 5 से 35 प्रतिशत राशि ही खर्च की

दुर्लभ बीमारियों के उपचार केन्द्र के रूप में काम कर रहे देश के कई बड़े चिकित्सा संस्थानों ने इस राशि का बच्चों का उपचार करने के लिए उपयोग करने में भारी लापरवाही दिखाई। हैदराबाद के एक संस्थान ने तो मात्र 4.53 प्रतिशत राशि का उपयोग किया। नई दिल्ली और केरल के तीन संस्थानों ने मात्र 18 से 35 प्रतिशत राशि का उपयोग किया। राजस्थान में इन बीमारियों का इलाज एम्स जोधपुर में होता है। जयपुर के जेकेलोन अस्पताल में भी इन बीमारियों से पीडि़त बच्चे उपचार के लिए आ रहे हैं।


उक्त राशि से कई बच्चों का इलाज किया जा सकता था, लेकिन इलाज के इंतजार में उन्होंने दम तोड़ दिया। सरकार को इस राशि के उपयोग करने के लिए सुव्यवस्थित तंत्र विकसित करना चाहिए। जिससे अधिक से अधिक जान बचाई जा सक।
मंजीत सिंह, संस्थापक, अध्यक्ष, लाइसोसोमल स्टोरेज डिसऑर्डर सपोर्ट सोसाइटी (एलएसडीएसएस)

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