राजधानी जयपुर में यह 42 मिनट दिखाई देगा। सूर्योदय के साथ ही सुबह 6.45 बजे सूतक शुरू होने से शहर के आराध्य देव गोविंददेवजी मंदिर में ग्वाल, संध्या और शयन झांकी का समय बदला है। जयपुर में ग्रहण शाम 5.37 बजे से शुरू होकर 6.19 बजे समाप्त होगा।
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प्राकृतिक आपदाओं को बढ़ावा
ज्योतिषाचार्य पं.दामोदर प्रसाद शर्मा ने बताया कि विश्व में ग्रहण दोपहर 2.39 बजे शुरू होकर शाम 6.19 बजे तक रहेगा। चंद्रमा 50 प्रतिशत ग्रहण लगा हुआ उदय होगा। यानी 50 प्रतिशत काला, 50 प्रतिशत चमकीला नजर आएगा। ग्रहण भरणी नक्षत्र और मेष राशि में घटित होगा। इस नक्षत्र, राशि में जन्मे व्यक्ति विशेष सावधानी रखें। एक मास में दो ग्रहण होना प्राकृतिक आपदाओं को बढ़ावा देगा। धातु पदार्थों, रस पदार्थों में तेजी का दौर रहेगा। ग्रहण के समय चंद्र—राहु का सूर्य, बुध, शुक्र, केतु से समसप्तक योग बनेगा। चार ग्रह वक्री होंगे। मिथुन, कर्क,वृश्चिक, कुंभ, सिंह राशि के जातकों के लिए ग्रहण बेहतर रहेगा।
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यह पड़ेगा राशियों पर प्रभाव
मेष: दुर्घटना से कष्ट
वृषभ: धनहानि का खतरा
मिथुन: उन्नति, लाभफल
कर्क: सुख, वैभव में वृद्धि
सिंह: मानहानि का भय
कन्या: शारीरिक कष्ट
तुला: दांपत्य कष्ट
वृश्चिक: अधूरे कार्य पूर्ण होंगे
धनु: चिंता पीड़ा की वृद्धि होगी
मकर: रोग, भय
कुंभ: धन लाभ
मीन: व्यय की वृद्धि होगी
(ज्योतिषाचार्य पं.दामोदर प्रसाद शर्मा के मुताबिक)
ग्रहण के समय यह करें
ज्योतिषाचार्य पं. पुरुषोत्तम गौड़ ने बताया कि जिन राशि के जातकों में अशुभ फल हो यथाशक्ति दान, जप पाठ के साथ ही हनुमानचालीसा, सुंदरकांड पाठ, हरिनाम संकीर्तन करें। देव दिवाली के निमित्त दीपदान शाम 6.19 बजे बाद करें।
यह न करें
मंदिर में परिक्रमा और मूर्ति, चाकू, कैंची को स्पर्श न करें। भोजन आदि न करें, हालांकि रोगियों, बच्चों, बुजुर्गों को छूट है।
बिड़ला तारामंडल के सहायक निदेशक संदीप भट्टाचार्य ने बताया कि इसे सामान्य आंखों के अलावा टेलीस्कॉप या दूरबीन से देखा जा सकेगा।