इस ज्ञापन में उल्लेख है कि 2 अप्रेल, 2018 को अनुसूचित जाति, जनजाति वर्ग द्वारा भारत बंद के आह्वान के दौरान दर्ज मुकदमों में एससी-एसटी वर्ग के कई निर्दोष लोग भी फंसे हुए हैं। दरअसल एससी-एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम के बारे में सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय दिनांक 20 मार्च 2018 के संदर्भ में यह भारत बंद का आह्वान किया गया था। उन्होंने बताया कि राज्य के कई जिलों में शांतिपूर्ण आंदोलन व रैलियों के दौरान कई स्थानों पर अन्य सामाजिक संगठनों, असामाजिक तत्वों द्वारा व्यवधान उत्पन्न कर आंदोलन को असफल करने का प्रयास किया गया। जिसके चलते दलित वर्ग के साथ मारपीट अत्याचार, तोडफोड और आगजनी की घटनाएं हुईं। मगर पुलिस द्वारा एससी-एसटी वर्ग के 2 हजार 862 व्यक्तियों को नामजद कर 630 लोगों को न्यायिक अभिरक्षा में ले लिया।
ये मंत्री-विधायक रहे मौजूद
ज्ञापन में बताया गया है कि दलित वर्ग के सरकारी कर्मचारी, अधिवक्ता, इंजीनियर, पत्रकार जो अपने कर्तव्य स्थल पर मौजूद थे उनको भी आरोपी बनाया गया। इससे स्पष्ट है कि निर्दोष व्यक्तियों को आरोपी बनाकर केस दर्ज किए गए हैं। इस दौरान मंत्री रमेशचंद मीना के साथ परसादीलाल मीना, टीकाराम जूली, ममता भूपेश, भजनलाल जाटव सहित एससी-एसटी वर्ग के कई विधायकगण मौजूद रहे। ( फाइल फोटो )