इस बीच मंत्री रावत ने
राजस्थान विधानसभा में साफ कर दिया है कि जिन अधिकारियों ने बहाव क्षेत्र की जमीन पर भूरूपांतरण के लिए एनओसी दी है और गलत तथ्य पेश किए हैं, उन्हें बख्शा नहीं जाएगा। सस्पेंड भी किया जाएगा। ऐसे मामलों की भी सूची तैयार की जा रही है। बहाव क्षेत्र में अतिक्रमण मिलने पर उन्हें ध्वस्त करने की कार्रवाई शुरू होगी।
इस तरह कर रहे काम
बांध के बहाव क्षेत्र और जल ग्रहण क्षेत्र में नियमित निगरानी व पर्यवेक्षण के लिए जिला कलक्टर की अध्यक्षता में जिला स्तरीय कमेटी गठित की गई है। वहीं, जल संसाधन विभाग के अतिरिक्त मुख्य अभियंता के निर्देशन में भी विभागीय समिति काम कर रही है। सर्वे के आधार पर बांध के भराव क्षेत्र का नक्शा तैयार किया जाएगा। खसरा संबंधी रिकॉर्ड भी तैयार करेंगे। बांध गंगा, माधोवणी व गोमती नदी से संबंधित राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज बहा क्षेत्र में भी जो अतिक्रमण हैं, उन्हें हटाने की कार्रवाई होगी। -राजस्व रिकॉर्ड के अनुसार बहाव क्षेत्र 3610.80 हेक्टेयर है। राजस्व विभाग के अधीन 2679.88 हेक्टेयर और जयपुर विकास प्राधिकरण के अधिकार क्षेत्र में 930.92 हेक्टेयर है। इसके अलावा निजी खातेदारी भूमि में से भी पानी का बहाव है।
-बांध के कैचमेंट क्षेत्र में नदी-नाले की भूमि के आदेशों के तहत 638 रेफरेंस राजस्व मंडल में पेश किए गए। इसमें से 338 में तो निर्णय हो गया, जिसमें 336 में पालना कराई गई है।