लोकसभा चुनाव के दौरान अलवर के थानागाजी में दलित युवती से हुए गैंगरेप (
Thanagazi Gangrape ) और उसके बाद लगातार इस तरह की घटनाओं से बसपा प्रमुख मायावती ने राज्य सरकार से नाराजगी जताई थी। बसपा नेता इसको लेकर सियासी फैसले की चेतावनी कांग्रेस को दे रहे थे। इसी बीच बसपा के विधायकों ने सोमवार दोपहर में बैठक की। बैठक में विधायकों ने राज्य सरकार पर उपेक्षा करने का आरोप लगाया। एक विधायक ने बताया कि बसपा द्वारा बाहर से समर्थन देते समय सरकार ने उनकी सुनवाई करने और काम होने का वादा किया था। पांच महीने के दौरान कुछ मंत्रियों के साथ अफसरों का उपेक्षापूर्ण रवैया रहा है।
हालांकि बसपा के प्रदेश अध्यक्ष सीतराम मेघवाल और विधायक जोगेन्द्र सिंह अवाना ने कहा कि राज्यपाल से मिलने का कार्यक्रम पहले से तय था। उनसे शिष्टाचार के नाते मिलने जा रहे हैं। लोकसभा चुनाव समाप्त हो गए और आचार संहिता हटने के चलते राज्यपाल से मिलने का कार्यक्रम था। अवाना ने बताया कि एक विधायक की तबीयत खराब होने के चलते यह कार्यक्रम फिलहाल स्थगित कर दिया गया है।
मुख्यमंत्री से भी मिलेंगेकरौली से बसपा विधायक लाखन सिंह ने बताया कि सरकार को बने हुए ज्यादा समय नहीं हुआ है। इस दौरान चुनाव आ गए, अब सरकार फिर से पटरी पर आएगी। हमारी नाराजगी ऐसी नहीं है कि सरकार से समर्थन वापस लिया जाए। कुछ मंत्री और अफसर अच्छे हैं, जो सभी की सुनते हैं। कई मंत्री-अफसर हमारी तो उनकी पार्टी के विधायकों तक की नहीं सुनते हैं, उनकी शिकायत हम मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (
Cm Ashok Gehlot ) से करेंगे। हमारा समर्थन सरकार को है, ऐसे में हमारे क्षेत्रों में काम होना चाहिए।
अटकलें समर्थन वापसी की
बसपा विधायकों के एकाएक राज्यपाल से मिलने जाने के कार्यक्रम से प्रदेश की सियासत गर्मा दी। बात यहां तक कही जाने लगी कि राज्य में कांग्रेस से समर्थन वापसी के लिए बसपा विधायक राज्यपाल के पास जा रहे हैं।