एडिशनल एसपी दिनेश शर्मा ने बताया कि पुलिस ने तकनीकी टीम के मदद से जांच शुरु की तो सामने आया कि परिवादी ने रिपोर्ट में दर्ज करवाई बाइक पर फाइनेंस पर वित्तीय सुविधा प्राप्त कर रखी थी। जिसकी एक भी किश्त परिवादी ने जमा नहीं करवाई। परिवादी ने स्वयं के साले हंसराज के साथ मिलकर साजिश रचकर स्वयं की महंगी पावर बाइक को चोरी बताकर बीमा क्लेम उठाने के उदेश्य से बाइक को साले हंसराज को 4 जनवरी को दे दी। अपनी बाइक चोरी हो जाने की झूठी रिपोर्ट दूदू थाने में दे दी। 27 फरवरी को अंकित मोटरसाइकिल पर फर्जी नम्बर प्लेट लगाकर आरोपी बनवारी लाल और उसके साले हंसराज को बाइक चलाते हुए पकड़ा। अनुसंधान के दौरान आरोपी द्वारा चोरी की हुई एक मोटरसाईकिल फर्जी नम्बर प्लेट लगी हुई तथा तीन अन्य संदिग्ध मोटरसाईकिले जब्त की गई।