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Rajasthan Chunav 2023: भाजपा के पूर्व मंत्री मैदान में, 9 के बीच सीधी टक्कर, 4 त्रिकोणीय में फंसे

Rajasthan Chunav 2023: विधानसभा चुनाव चरम पर पहुंच गया है। भाजपा सरकार में रहे 14 पूर्व मंत्रियों ने नामांकन भरा, लेकिन करणपुर सीट से कांग्रेस प्रत्याशी की मृत्यु के कारण वहां चुनाव बाद में हाेंगे।

जयपुरNov 23, 2023 / 07:57 am

Kirti Verma

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Rajasthan Chunav 2023: विधानसभा चुनाव चरम पर पहुंच गया है। भाजपा सरकार में रहे 14 पूर्व मंत्रियों ने नामांकन भरा, लेकिन करणपुर सीट से कांग्रेस प्रत्याशी की मृत्यु के कारण वहां चुनाव बाद में हाेंगे। ऐसे में अभी 13 पूर्व मंत्री मैदान में हैं। इनमें चार प्रत्याशी कुछ सुकून में दिख रहे हैं, जबिक 9 के पसीने छूट रहे हैं। मौजूदा स्थिति में 9 प्रत्याशियों के बीच टक्कर है और 4 प्रत्याशी त्रिकोणीय मुकाबले में फंसे नजर आ रहे हैं। पिछले चुनाव में तीन निर्दलीय प्रत्याशी जीते, जिसमें से दो को कांग्रेस ने टिकट दिया है। जबकि, एक सीट पर अब भी निर्दलीय प्रत्याशी मजबूत है। कुछ प्रत्याशी को तो भितरघात का भी सामना करना पड़ रहा है। उन्हें अब स्थानीय स्तर पर कार्यकर्ताओं की मनुहार तक करनी पड़ रही है।


1. सीट- बाली
प्रत्याशी- पूर्व मंत्री पुष्पेन्द्रसिंह राणावत
वसुंधरा सरकार में राज्य मंत्री रहे पुष्पेन्द्रसिंह राणावत छठी बार बाली विधानसभा सीट से मैदान में है। यहां राणावत का मुकाबला कांग्रेस के प्रत्याशी पूर्व सांसद बद्रीराम जाखड़ से है। वर्ष 1993 से भाजपा जीत रही है, जिसमें पांच बार पुष्पेन्द्र सिंह विधायक बने। भाजपा पार्टी जाखड़ को बहारी बताकर सियासी दांव चल रही है, लेकिन कांग्रेस भी क्षेत्र में विकास कार्यों को भुनाने में जुटी है। कांग्रेस इस सीट पर ज्यादातर बार प्रत्याशी बदलती रही है। इससे प्रत्याशी को क्षेत्र को समझने के लिए मशक्कत करनी पड़ती रहीेंत है। राणावत कुछ सहज और जाखड़ जोर लगाने की स्थिति में हैं।

2. सीट- निम्बाहेडा
पूर्व मंत्री- श्रीचंद कृपलानी
कांग्रेस सरकार में मंत्री उदयलाल आंजना और भाजपा सरकार में यूडीएच मंत्री रहे श्रीचंद कृपलानी के बीच कड़ी टक्कर का मुकाबला है। दोनों दिग्गज बार-बारी से सीट पर काबिज़ रहते आए हैं। आंजना मंत्री के तौर पर क्षेत्र में कराए गए विकास कार्यों के बूते वोट मांग रहे हैं, जबकि कृपलानी सनातन और हिन्दुत्व के तौर भी आगे बढ़ रहे हैं। पटेल, डांगी, जाट, आंजना, धाकड वर्ग के लोग विधायक का चेहरा तय करेंगे। पिछली बार कृपलानी 11908 वोट मार्जिन से हारे थे। उनकी गुरुवार को प्रस्तावित गृह मंत्री अमित शाह के रोड से बहुत कुछ उम्मीद है।

3. सीट- सिरोही
प्रत्याशी- पूर्व मंत्री ओटाराम देवासी
कांग्रेस ने टिकट पर संयम लोढा काम गिना रहे हैं और भाजपा से देवासी राष्ट्रवाद के जरिए सियासी जमीन मजबूत करने में जुटे हैं। पिछली बार संयम निर्दलीय जीते थे। रेबारी समाज से जुड़े संत ओटाराम देवासी के अनुयायी भी बहुत है, इसे भी समर्थक भुना रहे हैं। यहां भाजपा का एक बागी भी खड़ा है, लेकिन बहुत अधिक प्रभाव नहीं छोड़ रहा। ऐसे में यहां से सीधी टक्कर देवासी और लोढ़ा में है। लोढ़ा वर्तमान में भी विधायक हैं, लेकिन एंटीइंकम्बेंसी और इनका आक्रामक रवैया कार्यकर्ताओं में नाराजगी का कारण बना हुआ है। संयम इसे दूर करने का प्रयास कर रहे हैं।

4. सीट- लोहावट
प्रत्याशी- गजेन्द्र सिंह खींवसर
भाजपा प्रत्याशी खींवसर त्रिकोणीय मुकाबले में हैं। कांग्रेस ने विधायक किसनाराम विश्नोई पर फिर भरोसा जताया है। हालांकि, इन दोनों दलों के बीच आरएलपी के प्रत्याशी सत्यनारायण विश्नोठ खड़े हैं। कांग्रेस से टिकट नहीं मिला तो आरएलपी का दामन थाम लिया। किसनाराम अपने काम को भुना नहीं पाए, इसलिए कुछ जगह विरोध भी हैं। वहीं खींवसर भी पिछली हार के जख्म को मिटाने के लिए विश्नोर्ठ और एससी-एसटी वर्ग के वोटर को साध रहे हैं। कुछ हद तक खींवसर सहज स्थिति में है, लेकिन किसनाराम भी हवा राज कायम रखने में जुटे हैं।

5. सीट- बहरोड
प्रत्याशी- पूर्व मंत्री जसवंत यादव
यह सीट त्रिकोणीय मुकाबले में फंसी है। भाजपा के जसवंत यादव, कांग्रेस के संजय यादव एवं राष्ट्रीय जनता सेना के बलजीत यादव के बीच कड़ा मुकाबला है। वर्तमान विधायक बलजीत कड़ी टक्कर दे रहे हैं और वे अपनी सहजता को भुनाने में जुटे हैं। जबकि, जसवंत यादव क्षेत्र में पकड़ और मंत्री रहते हुए विकास कार्य को अब भी गिना रहे हैं। जाति वर्ग के कुछ लोग कन्फ्यूज भी हैं किस वोट किसे और किस आधार पर दें। माना जा रहा है कि मुकाबला दो प्रत्याशियों के बीच ही है।

6. सीट- थानागाजी
प्रत्याशी- पूर्व मंत्री हेमसिंह भड़ाना
भाजपा प्रत्याशी भड़ाना और कांग्रेस प्रत्याशी कांति मीणा के बीच कड़ी टक्कर है। सीट कड़े मुकाबले में फंसी है। यहां भाजपा के बागी और असपा प्रत्याशी रोहिताश घांघल एवं निर्दलीय भूपेश राजावत भाजपा प्रत्याशी को कुछ नुकसान पहुंचा रहे हैं। भड़ाना का फोकस ब्राह्मण, वैश्य वोटों पर ज्यादा है, क्योंकि आप पार्टी से खड़े कैलाश मीना कांग्रेस के वोट बैंक सेंधमारी कर रहे हैं। इसीलिए दूसरी जाति वर्ग के वोट पर भाजपा का फोकस है। यहां अभी भड़ाना कुछ प्रभाव दिखा रहे हैं।

7. सीट- तारानगर
प्रत्याशी- राजेन्द्र सिंह राठौड़
चर्चित सीटों में से एक तारानगर में भाजपा के राजेन्द्र राठौड़ और कांग्रेस के नरेन्द्र बुडानिया के बीच टक्कर है। राहुल गांधी की सभा कराकर बुडानिया ने खुद को मजबूत करने की कोशिश की। इससे राठौड़ की चिंता बढ़ी तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को बुलाकर नहले पर दहले का काम किया। मोदी की सभा के बाद राठौड़ ने सियासी जमीन मजबूत करने की कोशिश की है, लेकिन टक्कर खत्म नहीं हुई है। बुडानिया मौजूदा विधायक हैं और सत्ताधारी पार्टी के काम भी गिना रहे हैं। राठौड़ अपने प्रभाव से आगे बढ़ते नजर आ रहे हैं। पिछले चुनाव में भाजपा यहां 12555 वोट मार्जिन से हारी थी।

8. सीट- सरदारशहर
प्रत्याशी- राजकुमार रिणवा
सरदारशहर विधानसभा सीट कांग्रेस का किला रहा है। पिछली भाजपा सरकार में मंत्री रहे राजकुमार रिणवा त्रिकोणीय मुकाबले में फंसे हैं। यहां पर कांग्रेस के अनिल शर्मा और निर्दलीय राजकरण चौधरी कड़ी टक्कर दे रहे हैं। राजकरण चौधरी वर्तमान में सरदारशहर नगर पालिका के कांग्रेस से चेयरमैन हैं। आरएलपी के अधिकृत प्रत्याशी लालचंद मुंड ने अपना नामांकन वापस लेकर अपना समर्थन निर्दलीय प्रत्याशी राजकरण चौधरी को दिया, जिससे मुकाबला त्रिकोणीय है। हालांकि आरएलपी प्रत्याशी जीतने की बजाय भाजपा-कांग्रेस को नुकसान पहुंचाने का काम करेंगे।

9. सीट- डेगाना
प्रत्याशी- अजय सिंह किलक
इस सीट पर पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को जीत मिली थी। फिर इस सीट पर जीत कायम रखने के लिए प्रत्याशी विजयपाल मिर्धा को जोर लगाना पड़ रहा है। जातिगत वोटरों को साधने के लिए लगातार गुप्त मीटिंग कर रहे हैं। भाजपा प्रत्याशी अजय सिंह किलक अपने पिछले कार्यकाल काम के सहारे आगे बढ़ रहे हैं, लोगों की सहानुभूति लेने की प्लानिंग पर काम हो रहा है। यहां आरएलपी लक्ष्मण सिंह ने भी अपना उम्मीदवार खङा किया है, जो कांग्रेस और भाजपा दोनों को नुकसान पहुंचाएगा। इससे भाजपा-कांग्रेस के बीच टक्कर की स्थिति बनी हुई है।

10. सीट- अजमेर उत्तर
प्रत्याशी- वासुदेव देवनानी
भाजपा प्रत्याशी पूर्व शिक्षामंत्री वासुदेव देवनानी त्रिकोणीय मुकाबले में फंसे हुए हैं। वर्तमान में भाजपा के बागी निर्दलीय प्रत्याशी ज्ञानचंद सारस्वत रैलियों के माध्यम से माहौल बना रहे हैं। सारस्वत तीन बार से लगातार नगर निगम में पार्षद हैं। इससे भाजपा के मतों का विभाजन होने की आशंका है। इस सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी महेन्द्र सिंह रलावता चुनाव मैदान में है। भाजपा के मत विभाजन से कांग्रेस प्रत्याशी अपने जीत के समीकरण को लेकर आश्वस्त नजर आ रहे हैं। परिणाम पर ही प्रत्याशियों की स्थिति साफ होगी।

11. सीट- अजमेर दक्षिण
प्रत्याशी- अनिता भदेल
पूर्व महिला एवं बाल विकास मंत्री अनिता भदेल का सीधा मुकाबला कांग्रेस की द्रौपदी कोली से है। कांग्रेस प्रत्याशी नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष है। सादगी व स्वच्छ छवि को लेकर सहानुभूति है। लेकिन कांग्रेस नेता हेमन्त भाटी मन से साथ नहीं लगे हुए हैं। कांग्रेस में भीतरघात अधिक है। भीतरघात की आशंका भाजपा में भी जताई जा रही है। लेकिन संगठन के बूते भाजपा फिलहाल मजबूत नजर आ रही है।

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12. सीट- हिंडौली
प्रत्याशी- प्रभुलाल सैनी
गहलोत सरकार में खेल मंत्री अशोक चांदना और भाजपा से पूर्व मंत्री प्रभुलाल सैनी चुनावी मैदान में है। सैनी को अंता की जगह हिंडोली विधानसभा से उतारने के पीछे की वजह यह है कि इस सीट पर भाजपा पिछलीे दाे चुनाव हारती आई है। सैनी हिंडोली-नैनवा विधानसभा से एक बार पहले भी विधायक रह चुके हैं। यह सीट माली समाज के बाहुल्य से जुड़ी हुई है, इसलिए प्रभुलाल सैनी जाति वर्ग के वोटरों से आश्वस्त नजर आ रहे हैं। वहीं, चांदना 55 हजार गुर्जर वोट को भुनाने में जुटे हैं। चांदना को प्रभुलाल सैनी कड़ी टक्कर दे रहे हैं।

13. सीट- मालवीय नगर
प्रत्याशी- कालीचरण सराफ
भाजपा के यह परम्परागत सीट रही है और भाजपा प्रत्याशी कालीचरण सराफ लगातार जीतते आ रहे हैं। वैश्य, ब्राह्मण, सिंधी, पंजाबी व अन्य जाति वर्ग का वोट बैंक भाजपा अपना मानते आई है और इसी कारण सराफ इस बार भी जीत के प्रति आश्वस्त हैं लेकिन टिकट नहीं मिलने से नाराज कुछ पार्टी नेता भीतरघात कर सकते हैं। कांग्रेस प्रत्याशी अर्चना शर्मा पिछला चुनाव कुछ ही वोटों के मार्जिन से हारी थीं और तभी से क्षेत्र में लगातार सक्रिय रहीं। विकास कार्य भी कराए। जहां वोट बैंक कम था, वहां सीएम अशोक गहलोत की सभा कराकर माली व अन्य वोटर को साधने पर फोकस किया है।

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