खूब हुई इंजीनियरों की विदेश यात्राएं
जानकारी के अनुसार, पानी की लाइनों में लीकेज रोक पानी को बर्बाद होने से बचाने की तकनीक सीखने के लिए लीकेज डिटेक्शन के नाम पर जलदाय इंजीनियरों ने 2017 से 2021 तक दो बार ऑस्ट्रेलिया, दो बार डेनमार्क और एक बार जापान की यात्रा की। सरकार ने भी इन यात्राओं की अनुमति इसलिए दी जिससे करोडों रुपए खर्च कर जयपुर लाए जा रहे बीसलपुर के पानी को लीकेज के जरिए बर्बाद होने से रोका जा सके। चौंकाने वाली बात यह है कि 3 साल से यहां लीकेज डिटेक्शन की एक भी ट्रेनिंग नहीं हुई है।
लीकेज डिटेक्शन सेंटर पर छाई घास
मंगलवार को पत्रिका ने आदर्श नगर पहुंच कर लीकेज डिटेक्शन ट्रेनिंग सेंटर का जायजा लिया। यहां लीकेज डिटेक्शन की ट्रेनिंग देने के लिए लगाई गई मशीनों के आस-पास घास उगी थी और कई मशीनें तो घास और जंगली बेलों की ओट के कारण दिख ही नहीं रही थीं। किसी को पता नहीं चले इसके लिए जलदाय इंजीनियरों ने सेंटर के चारों ओर ऊंची दीवार भी करा दी है। वहीं लीकेज पता करने के लिए डिविजनों में दिए गए करोड़ों रुपए के उपकरणों का भी कोई अता-पता नहीं है।