राजस्थान में PTI भर्ती परीक्षा में फर्जीवाड़े का बड़ा खेल, 54 अभ्यर्थी अपात्र; 248 को नौकरी मुक्त करने की अनुशंषा
Rajasthan PTI Recruitment: राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड ने पीटीआई भर्ती में फर्जी दस्तावेज लगाने वालों पर कड़ी कार्रवाई की है। राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड ने 400 अभ्यर्थियों पर कार्रवाई शुरू कर दी है।
जयपुर। राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड ने पीटीआई भर्ती में फर्जी दस्तावेज लगाने वालों पर कड़ी कार्रवाई की है। राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड ने 400 अभ्यर्थियों पर कार्रवाई शुरू कर दी है। इनमें से 54 अभ्यर्थियों को अपात्र कर दिया है। ये अभ्यर्थी नियुक्ति का इंतजार कर रहे थे। इसके अलावा बोर्ड ने 248 अभ्यर्थियों की सूची शिक्षा विभाग को भेजी है। इन अभ्यर्थियों को नियुक्ति दे दी गई है। विभाग इन्हें पद से मुक्त करने की कार्रवाई करेगा।
वहीं, 100 अन्य अभ्यर्थियों की जांच जारी है। बोर्ड अध्यक्ष आलोक राज ने बताया कि एसओजी को भी इनकी सूची भेजी जा रही है। बोर्ड ने वैसे पूरी भर्ती में से करीब 1200 अभ्यर्थियों को जांच के दायरे में लिया है। इन अभ्यर्थियों की जांच बोर्ड और एसओजी अलग-अलग कर रही है। 1200 में से 400 अभ्यर्थियों का फर्जीवाड़ा बोर्ड ने पकड़़ा था।
सात दिन में जबाव नहीं दे पाए
राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड ने 1200 अभ्यर्थियों के दस्तावेजों की जांच शुरू की। इनमें से करीब 400 ऐसे अभ्यर्थियों को चिन्हित किया जिनके दस्तावेजों में फर्जीवाड़ा सामने आया। इन अभ्यर्थियों को जबाव पेश करने के लिए सात दिन का समय दिया था। लेकिन जिन अभ्यर्थियों की ओर से ही जबाव दिया गया, उनके जबाव बोर्ड को संतोषप्रद नहीं लगे।
ऐसे किया फर्जीवाड़ा
पीटीआई भर्ती में बोर्ड ने सैकड़ों अभ्यर्थियों की डिग्री फर्जी होने की आशंका जताई है। इसका कारण यह था कि अभ्यर्थियों ने आवेदन के समय बीपीएड डिग्री होने की जानकारी नहीं दी। लेकिन बाद में दस्तावेज जांच के समय यूपी, चूरू सहित अन्य जगहों की यूनिवर्सिटी से 2019 की डिग्री लेकर लगा दी। पीटीआई भर्ती में एक साथ बड़ी संख्या में आवेदन आने पर फर्जीवाड़े की आशंका जताई गई थी।
पीटीआई भर्ती में अभ्यर्थियों फर्जी डिग्रिंयां लगा दी। इसका खुलासा राजस्थान पत्रिका ने किया और सबूतों के साथ राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड को सामने मामला उजागर किया। इस पर राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड ने अभ्यर्थियों के दस्तावेजों की जांच की। करीब एक साल तक चली जांच प्रक्रिया की। बोर्ड ने संंबंधित विश्वविद्यालयों से डाटा निकलवाया गया। एक साल चली जांच प्रक्रिया के बाद अभ्यर्थियों पर कार्रवाई की गई।