इस स्थिति का हवाला देकर प्रार्थना पत्र में पत्नी व बेटे से पांच लाख रुपए प्रतिमाह भरण-पोषण खर्च दिलाने और मोती महल, कोठी दरबार निवास आदि को खाली कराने की गुहार की है। उधर, अनिरुद्ध सिंह ने सभी आरोपों को झूठे बताते हुए कहा कि उनके पास फाइनेंशियल फ्रॉड और संपत्ति को गलत तरीके से बेचने के साक्ष्य है, जिनको आवश्यकता पड़ने पर एसडीएम कोर्ट में पेश किया जाएगा।
पूर्व मंत्री विश्वेन्द्र सिंह ने परिवाद में लिखा है कि प्रार्थी वरिष्ठ नागरिक है और हृदय रोग से पीडि़त है। दो स्टंट डले होने के कारण टेंशन सहन नहीं कर सकता और वे वर्ष 2021 एवं 2022 में दो बार कोरोना से ग्रसित रहे, लेकिन पत्नी एवं बेटे ने कोई सहायता नहीं की और न ही कोई उन्हें देखने आया। यहां तक कि दूरभाष पर भी बात नहीं की। उन्होंने अपने पिता से वसीयत के जरिए प्राप्त संपत्तियों पर एकमात्र अपना स्वामित्व बताया।
वहीं आरोप लगाया कि पत्नी व बेटे कुछ वर्षों से उनके खिलाफ बगावत जैसा बर्ताव कर रहे हैं। उनके पहनने के कपड़े फाडकऱ कुएं में फेंक दिए और जला दिए। कागजात-रिकॉर्ड आदि फाड़ दिए और गाली-गलौच कर कमरों से सामान बाहर फेंंक दिया। यहां तक कि चाय-पानी बंद करा दिया और खाना भी आधा-अधूरा ही दिया।
लोगों से मिलने नहीं दिया जाता, खानाबदोश हो गया
विश्वेन्द्र सिंह ने प्रार्थना पत्र में आरोप लगाया कि निर्वाचन क्षेत्र से आने वाले लोगों को उनसे मिलने नहीं दिया जाता और बिना अनुमति बाहर आना-जाना भी बंद कर दिया। गाड़ी का ड्राइवर हटा दिया। खुद की जान को खतरा होने और पत्नी व बेटे पर संपत्ति हड़पने का प्रयास करने का आरोप लगाते हुए विश्वेंद्र सिंह ने परिवाद में कहा कि उनके साथ मारपीट हुई और एक कमरे तक सीमित कर दिया गया। अनेक बार गार्ड से भी दुर्व्यवहार किया गया। इस सबके बाद उन्हें घर छोडकऱ जाना पड़ा। अपने को खानाबदोश की तरह बताते हुए कहा कि उन्हें कभी सरकारी निवास पर तो कभी होटल में रहना पड़ रहा है। उनका आरोप है कि जब भी वे भरतपुर आते हैं तो अपने निवास में नहीं घुसने दिया जाता। उन्होंने घर के स्टोर में करोड़ो रुपए की वस्तुएं छोड़ने की बात कही, वहीं अपने स्वामित्व के 912 लाख के सोने-चांदी के जवाहरात व आभूषण तथा उनकी ओर से दिए गए 25 लाख के आभूषण पत्नी दिव्या सिंह के कब्जे में बताए हैं।
सोशल मीडिया पर बेइज्जत किया
प्रार्थना पत्र में सोशल मीडिया और मोबाइल मैसेज के जरिए उन्हें विभिन्न प्रकार की टिप्पणी कर बेइज्जत करने का आरोप भी लगाया है। साथ ही, खुद को खतरा बताते हुए कहा कि अब उनका घर में साथ रह पाना संभव नहीं है। विश्वेन्द्र सिंह की मांग
- पत्नी व बेटे से पांच लाख रुपए प्रतिमाह भरण-पोषण दिलाया जाए।
- मोती महल, कोठी दरबार निवास, सूरज महल, गोलबाग परिसर स्थित सभी भवन, मंदिर, देवालय आदि का कब्जा दिलाया जाए।
- सभी पैलेसियल आइटम फर्नीचर, भवनों में स्थित साज सज्जा का सामान, यूटेन्सियल्स, कालीन, ट्रॉफी सहित अन्य सामान दिलाया जाए।
- कोठी इजलास खास के संबंध में 27 अक्टूबर 2020 को दिया गया दान पत्र व उसके द्वारा किया गया अंतरण अवैधानिक शून्य व अप्रभावी घोषित किया जाए।
- दो बंदूक भी पत्नी व बेटे के कब्जे से दिलाई जाएं।
यह मांगी अंतरिम राहत
प्रार्थना पत्र में अंतरिम तौर पर इजलास खास व किसी चल, अचल संपत्ति को किसी अन्य व्यक्ति को अंतरित नहीं करने की मांग की गई है। साथ ही, पत्नी व बेटे को सोशल मीडिया व मोबाइल पर मैसेज कर उनके सम्मान को क्षति नहीं पहुंचाने के लिए पाबंद करने का आग्रह भी किया है।
चाल साल से चल रहा विवाद
भरतपुर के पूर्व राजपरिवार के बीच करीब चार साल से विवाद चल रहा है। इसके कारण पूर्व राजपरिवार के सदस्य एवं पूर्व मंत्री विश्वेंद्र सिंह मोती महल के बजाय अन्य निजी आवास पर रह रहे हैं। बीच में विश्वेंद्र सिंह के पुत्र के ट्वीट भी विवाद में रहे।