सूत्रों के अनुसार योजना में अब एक प्रीमियम राशि के बजाय श्रेणीवार प्रीमियम किए जाने की संभावना है। यह राशि इस तरह होगी, जिससे कि छोटे और मध्यम श्रेणी के अलावा बड़े निजी अस्पताल भी पैनलबद्ध होने के लिए आकर्षित हो सकें। छोटे और बड़े सभी निजी अस्पतालों में एक समान पैकेज दरों के कारण कांग्रेस सरकार के समय बड़े निजी अस्पतालों ने इस योजना से दूरी बना ली थी। जिसके कारण योजना का संपूर्ण लाभ मरीजों को नहीं मिल पा रहा था। अब सरकार की पहली कोशिश बड़े अस्पतालों को भी इस योजना में शामिल करने की है।
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– योजना का कवरेज 25 लाख के बजाय 5 से 8 लाख तक किया जा सकता है। सरकार का तर्क है कि पिछली सरकार ने 13 लाख एक व्यक्ति और 8-8 लाख कुछ लोगों को ही दिए। अधिकांश को 5-5 लाख से कम का लाभ मिला, ऐसे में इससे अधिक की जरूरत नहीं।
– मौजूदा बीमा प्रीमियम राशि 850 रुपए है। इसे बरकरार रखते हुए दो अन्य श्रेणियां बनाई जा सकती हैं, जो 1500 से 3 हजार रुपए तक हो सकती हैं। लोग खुद तय करेंगे कि उन्हें किस श्रेणी की सुविधा लेनी है।
– सरकार निजी अस्पतालों के साथ चर्चा कर अस्पतालों की श्रेणियां तय करने की कोशिश कर सकती है, जिससे उन्हें उनके यहां उपलब्ध सुविधाओं के अनुसार प्रीमियम की श्रेणी में शामिल किया जा सके।
– मौजूदा नि:शुल्क श्रेणियां पहले की तरह ही बरकरार रहेंगी।
– निजी अस्पतालों की सुविधा में छोटी-छोटी बीमारियों के पैकेज भी शामिल किए जाएंगे, जो कांग्रेस सरकार के समय सरकारी अस्पतालों तक ही सीमित थे। इससे मरीजों और निजी अस्पतालों में रोष व्याप्त था।
– योजना को केन्द्र की आयुष्मान योजना की तरह संचालित करने की कोशिश की जाएगी।
– सरकार का मानना है कि योजना के सफल संचालन के लिए निजी अस्पतालों को विश्वास में लेना आवश्यक है। ऐसे में योजना मरीज और अस्पतालों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर तैयार की जाएगी।
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– निःशुल्क श्रेणी : खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) के तहत पात्र लाभार्थी परिवार, सामाजिक आर्थिक जनगणना (एसईसीसी) 2011 के पात्र परिवार, प्रदेश के समस्त विभागों, बोर्ड, निगम, सरकारी कंपनियों में कार्यरत संविदा कार्मिक, लघु-सीमांत कृषक एवं गत वर्ष कोविड-19 अनुग्रह राशि प्राप्त करने वाले निराश्रित एवं असहाय परिवार।
– प्रदेश के वे अन्य परिवार जो सरकारी कर्मचारी या पेंशनर नहीं हैं या चिकित्सा परिचर्या नियमों के तहत अन्य लाभ नहीं ले रहे हैं। वे निर्धारित प्रीमियम का भुगतान कर योजना में शामिल हो सकते हैं
योजना को व्यावहारिक बनाएंगे। जो मरीज और अस्पताल दोनों की जरूरतों को ध्यान में रखकर तैयार होगी। कांग्रेस सरकार के समय ही निजी अस्पतालों ने इस योजना में काम बंद कर दिया था। अब हम सभी बिंदुओं का अध्ययन कर समीक्षा कर रहे हैं।
गजेन्द्र सिंह, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री