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जयपुर

पुण्यतिथि पर याद किए जा रहे ‘बाबोसा’, CM राजे ने श्रद्धासुमन अर्पित कर भैरोंसिंह शेखावत को दी श्रद्धांजलि

Bhairon Singh Shekhawat Death Anniversary: पुण्यतिथि पर याद किए जा रहे ‘बाबोसा’

जयपुरMay 15, 2018 / 12:04 pm

Nakul Devarshi

Bhairon Singh Shekhawat
जयपुर।

देश के पूर्व उपराष्ट्रपति स्वर्गीय भैरोंसिंह शेखावत की 8 वीं पुण्यतिथि पर प्रदेश भर में श्रद्धांजलि कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। मुख्य कार्यक्रम राजधानी जयपुर में हुआ। यहां विद्याधर नगर स्थित स्वर्गीय भैरोंसिंह शेखावत स्मृति स्थल पर आयोजित श्रद्धांजलि कार्यक्रम में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने स्मृति स्थल पर पुष्प अर्पित करते हुए श्रद्धांजलि दी।
सीएम राजे ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा, ‘बाबोसा किसान, दलित व गरीब वर्ग के लिए जीवनपर्यन्त संघर्षरत रहे और राजस्थान के आधुनिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया। राष्ट्रहित में अपना सम्पूर्ण जीवन समर्पित करने वाले बाबोसा के आदर्श व सिद्धांत हम सबके लिए प्रेरणादायी बने हुए हैं।’

इस मौके पर विधायक नरपत सिंह राजवी, महापौर अशोक लाहोटी सहित कई गणमान्य लोग मौजूद रहे। श्रद्धांजलि के बाद स्मृति स्थल पर वृक्षारोपण किया गया और परिंडे भी लगाए गए। इस कार्यक्रम के बाद सीएम राजे हेलीकॉप्टर से झालावाड़ के लिए रवाना हो गईं।

गौरतलब है कि 23 अक्टूबर 1923 को सीकर के खाचरियावास में जन्में भैरोंसिंह का निधन राजधानी जयपुर में 15 मई 2010 को हुआ था। बाबोसा के नाम से पहचान रखने वाले शेखावत की गिनती दिग्गज राजनेताओं की फहरिस्त में गिनी जाती है। वे एकमात्र ऐसे नेता थे जिन्होंने 1972 में विधानसभा चुनाव को छोड़कर 1952 से राजस्थान के सभी चुनावों में जीत दर्ज की। भारतीय राजनीति में वह दक्ष और परिपक्व नेता के रूप में जाने जाते थे।
विश्व बैंक के अध्यक्ष रॉबर्ट मैकनामरा ने शेखावत को ‘‘ भारत का रॉकफेलर‘‘ कहा था। उन्हें पुलिस और अफसरशाही व्यवस्था पर कुशल प्रशासन के लिए भी जाना जाता है। इसके अलावा भैरों सिंह शेखावत को राजस्थान में औद्योगिक और आर्थिक विकास के पिता के तौर पर भी जाना जाता है। राज्यसभा में उन्हें अतुलनीय प्रशासन और काम-काज के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय नेताओं से सराहना मिली।
Bhairon Singh Shekhawat
ऐसा रहा जीवन का सफर

भैरों सिंह शेखावत देवी सिंह शेखावत और बन्ने कंवर के पुत्र थे। उन्होंने अपनी स्कूल की शिक्षा पूरी ही की थी कि पिता जी का निधन हो गया जिसके कारण आगे की पढ़ाई नहीं कर सके। पिता के निधन के बाद परिवार की जिम्मेदारी उन पर आ गई। उन्होंने प्रारंभ में खेती की और बाद में पुलिस में सब-इंस्पेक्टर बन गए। बाद में उनका विवाह सूरज कंवर से करा दिया गया।
इसलिए माने गए सियासत के दिग्गज

भैरों सिंह शेखावत ने 1952 में राजनीति में प्रवेश किया। 1952 से 1972 तक वह राजस्थान विधानसभा के सदस्य रहे। 1967 के चुनाव में भारतीय जनसंघ और सहयोगी स्वतंत्र पार्टी बहुमत के नजदीक तो आई लेकिन सरकार नहीं बना सकी। 1974 से 1977 तक उन्होंने राज्यसभा सदस्य के तौर पर अपनी सेवाएं दीं।
1977 से 2002 वह राजस्थान विधानसभा के सदस्य रहे। 1977 में 200 में से 151 सीटों पर कब्जा करके उनकी पार्टी ने चुनाव में जीत दर्ज की और वह राजस्थान के मुख्यमंत्री बने। उन्होंने 1980 तक अपनी सेवाएं दीं। 1980 में भारतीय जनसंघ और स्वतंत्र पार्टी के विघटन के बाद वह बीजेपी में शामिल हो गए और 1990 तक नेता प्रतिपक्ष की भूमिका निभाई।
1984 में इंदिरा गांधी के शासनकाल में बीजेपी चुनाव हार गई। इसके बाद 1989 के चुनाव में बीजेपी-जनता दल गठबंधन ने लोकसभा में 25 सीटें जीतीं और राजस्थान विधानसभा चुनाव में 140 सीटों पर कब्जा किया। 1990 में भैरों सिंह शेखावत फिर से राजस्थान के मुख्यमंत्री बने और 1992 तक पद पर बने रहे। उनके नेतृत्व में बीजेपी ने अगले चुनाव में 99 सीटें जीतीं।
इस प्रकार स्वतंत्र समर्थकों के सहयोग से वह सरकार बनाने में सक्षम हो गए लेकिन कांग्रेस इसके विरोध में थी। 1993 में लगातार तीसरी बार वह राजस्थान के मुख्यमंत्री बने और पांच साल तक रहे।
1998 में वह प्याज की बढ़ती कीमतों जैसे मुद्दों के कारण चुनाव हार गए। इसके बाद 1999 में बीजेपी ने लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज की। इस बार बीजेपी को राजस्थान में 25 में से 16 लोकसभा सीटों पर जीत मिली। वर्ष 2002 में भैरों सिंह शेखावत सुशील कुमार शिंदे को हराकर देश के उपराष्ट्रपति चुने गए। विपक्षी दल को 750 में से 149 मत मिले।
जुलाई 2007 में उन्होंने नेशनल डेमोक्रेटिक अलाइंस के समर्थन से निर्दलीय राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ा, लेकिन दुर्भाग्यवश वह चुनाव हार गए और प्रतिभा पाटिल चुनाव जीतीं और देश की राष्ट्रपति बनीं। इसके बाद भैरों सिंह शेखावत ने 21 जुलाई 2007 को उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया।

भैरों सिंह शेखावत का निधन 15 मई 2010 को जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल में हो गया। वह कैंसर से भी पीडि़त थे। उनके अंतिम संस्कार में प्रसिद्ध राजनेताओं के अलावा हजारों लोग शामिल हुए।

योगदान

भैरों सिंह शेखावत ने राजस्थान के मुख्यमंत्री के तौर पर प्रदेश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने शिक्षा, बालिकाओं का उत्थान व उनका कल्याण, अनुसूचित जाति, जनजाति, अल्पसंख्यक, पिछड़ा वर्ग और शारीरिक विकलांग लोगों की स्थिति में सुधार पर बल दिया। उनका मुख्य उद्देश्य गरीबों तक अधिकारों का लाभ पहुंचाना था। उन्होंने लोगों को परिवार नियोजन और जनसंख्या विस्फोट का राज्य के विकास पर पड़ने वाले दुष्परिणामों के बारे में जागरूक किया। लोगों की आर्थिक मदद के लिए उन्होंने नई निवेश नीतियां शुरू की, जिनमें उद्योगों का विकास, खनन, सड़क और पर्यटन शामिल है। उन्होंने हेरिटेज होटल और ग्रामीण पर्यटन जैसे योजनाओं को लागू करने का सिद्धांत दिया, जिससे राजस्थान के पर्यटन क्षेत्र में वृद्धि हुई। इस प्रकार उनके कार्यकाल के दौरान राजस्थान की अर्थव्यवस्था और वित्तीय स्थिति बेहतर रही।

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