ये सुविधाएं उपलब्ध
अस्पताल में सुविधाएं नहीं होने के कारण अभी भी यहां का आउटडोर 500 से 700 प्रतिदिन तक ही पहुंच पाया है। संसाधनों के तौर पर यहां ऑपरेशन थियेटर, इमरजेंसी इकाई, जांच कक्ष, ओपीडी और वार्ड समेत अन्य चिकित्सा व्यवस्थाएं उपलब्ध हैं।
अस्पताल का ये दिखा हाल
सुबह : 11.30 बजे
रजिस्ट्रेशन काउंटर के सामने करीब 150 से 200 मरीज कतार में थे। नेत्र विभाग की ओपीडी कक्ष में मरीज नजर आए। सर्जरी, डेंटल, मेडिसिन की ओपीडी में मरीज कम दिखे। ईएनटी ओपीडी में मरीज नहीं थे और डॉक्टर मोबाइल देखते नजर आए। एक्सरे रूम, ईसीजी जांच लैब भी खाली दिखी। उनमें स्टाफ भी मौजूद नहीं था।
वार्डों में एक भी मरीज भर्ती नहीं
– मेल व फीमेल वार्ड में एक भी मरीज भर्ती नहीं था। पूछताछ में पता चला कि ओपीडी में कोई मरीज गंभीर हालत में आता है तो उसे एसएमएस अस्पताल रैफर कर दिया जाता है। सर्जरी होने पर ही यहां मरीज को भर्ती किया जाता है। दो तीन दिन बाद वार्ड फिर खाली हो जाता है।
सरकार से अभी बजट नहीं मिला है। चिकित्सक और नर्सिंग स्टाफ भी कम है। जल्द ही इमरजेंसी ब्लाॅक शुरू कर दिया जाएगा।
डॉ. अनीता वर्मा, निदेशक, मोबाइल सर्जिकल यूनिट
सरकार ने सैटेलाइट अस्पताल बनाने के बाद यहां पर 11 डॉक्टर लगा दिए। जिसमें 5 दंत रोग विशेषज्ञ, 4 निश्चेतना, 2 अस्थि रोग विशेषज्ञ शामिल हैं। सरकार ने नर्सिंग स्टाफ नहीं लगाया। ऐसे में यहां संचालित 9 विभाग की ओपीडी में मोबाइल सर्जिकल यूनिट के चिकित्सक, नर्सिंग स्टाफ ही सेवाएं दे रहे हैं। इनके शिविरों में चले जाने पर यहां चिकित्सा व्यवस्था गड़बड़ा जाती है।