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जयपुर

खाली पड़े बेड, इमरजेंसी भी बंद, गंभीर हालत में मरीज एसएमएस हो रहे रैफर

150 बेड का राज्य का सबसे बड़ा सैटेलाइट अस्पताल, दूर नहीं कर पा रहा मरीजों का मर्ज
मोतीडूंगरी सैटेलाइट : सरकार ने बजट घोषणा में बनाया था सैटेलाइट

जयपुरJun 06, 2023 / 01:08 am

GAURAV JAIN

खाली पड़े बेड, इमरजेंसी भी बंद, गंभीर हालत में मरीज एसएमएस हो रहे रैफर

खाली पड़े बेड, इमरजेंसी भी बंद, गंभीर हालत में मरीज एसएमएस हो रहे रैफर

जयपुर. मोती डूंगरी स्थित राजकीय सिटी अस्पताल भले ही सैटेलाइट बन गया लेकिन अभी भी यहां मरीजों की मलहम पट्टी ही हो रही है। मरीजों का मर्ज दूर करने में यह उपयोगी साबित नहीं हो रहा है। अभी तक यहां इमरजेंसी चिकित्सा व्यवस्था तो दूर मरीजों को भर्ती करने के भी उचित इंतजाम नहीं है। ऐसे में मरीजों को गंभीर हालत में सवाई मानसिंह अस्पताल व अन्य अस्पताल ही जाना पड़ रहा है। राजस्थान पत्रिका संवाददाता ने सोमवार सुबह अस्पताल का जायजा लिया तो चौंकाने वाले हालात नजर आए।


ये सुविधाएं उपलब्ध

अस्पताल में सुविधाएं नहीं होने के कारण अभी भी यहां का आउटडोर 500 से 700 प्रतिदिन तक ही पहुंच पाया है। संसाधनों के तौर पर यहां ऑपरेशन थियेटर, इमरजेंसी इकाई, जांच कक्ष, ओपीडी और वार्ड समेत अन्य चिकित्सा व्यवस्थाएं उपलब्ध हैं।

 

अस्पताल का ये दिखा हाल
सुबह : 11.30 बजे
रजिस्ट्रेशन काउंटर के सामने करीब 150 से 200 मरीज कतार में थे। नेत्र विभाग की ओपीडी कक्ष में मरीज नजर आए। सर्जरी, डेंटल, मेडिसिन की ओपीडी में मरीज कम दिखे। ईएनटी ओपीडी में मरीज नहीं थे और डॉक्टर मोबाइल देखते नजर आए। एक्सरे रूम, ईसीजी जांच लैब भी खाली दिखी। उनमें स्टाफ भी मौजूद नहीं था।
वार्डों में एक भी मरीज भर्ती नहीं
– मेल व फीमेल वार्ड में एक भी मरीज भर्ती नहीं था। पूछताछ में पता चला कि ओपीडी में कोई मरीज गंभीर हालत में आता है तो उसे एसएमएस अस्पताल रैफर कर दिया जाता है। सर्जरी होने पर ही यहां मरीज को भर्ती किया जाता है। दो तीन दिन बाद वार्ड फिर खाली हो जाता है।

 

 

 

 

 

सरकार से अभी बजट नहीं मिला है। चिकित्सक और नर्सिंग स्टाफ भी कम है। जल्द ही इमरजेंसी ब्लाॅक शुरू कर दिया जाएगा।

डॉ. अनीता वर्मा, निदेशक, मोबाइल सर्जिकल यूनिट

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11 डॉक्टर लगाए, लेकिन नर्सिंग स्टाफ लगाना भूल गए
सरकार ने सैटेलाइट अस्पताल बनाने के बाद यहां पर 11 डॉक्टर लगा दिए। जिसमें 5 दंत रोग विशेषज्ञ, 4 निश्चेतना, 2 अस्थि रोग विशेषज्ञ शामिल हैं। सरकार ने नर्सिंग स्टाफ नहीं लगाया। ऐसे में यहां संचालित 9 विभाग की ओपीडी में मोबाइल सर्जिकल यूनिट के चिकित्सक, नर्सिंग स्टाफ ही सेवाएं दे रहे हैं। इनके शिविरों में चले जाने पर यहां चिकित्सा व्यवस्था गड़बड़ा जाती है।
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प्रदेश का सबसे बड़ा सैटेलाइट अस्पताल फिर भी अनदेखी

वर्ष 1997 में सरकार ने 50 बेड का राजकीय सिटी अस्पताल बनाया था। तब मोबाइल सर्जिकल यूनिट भी यहां शिफ्ट कर दी गई। गत वर्ष राज्य सरकार ने इसे 100 बेड का अस्पताल बना दिया। इस साल 50 बेड और बढ़ाकर इसे सैटेलाइट बना दिया गया। चिकित्सकों का कहना है कि यह 150 बेड का राज्य का सबसे बड़ा सैटेलाइट अस्पताल है। इसके बावजूद भी बदतर हालात हैं।

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