परिवहन विभाग का मानना है कि इससे पारदर्शिता बढ़ेगी तो दूसरी तरफ बिना ड्राइविंग में दक्ष लोगों को लाइसेंस नहीं मिल पाएगा। इसका सीधा असर सड़क दुर्घटनाओं के कमी के रूप में हमारे सामने आएगा। परिवहन मुख्यालय की माने तो प्रदेश के 17 ट्रैक पर तेजी से काम चल रहा है। कोरोना के कारण जो कार्य रूके हुए थे अब उन्हें तेजी से निपटाया जाएगा। इसके बाद पूरे प्रदेश में इसे लागू किया जाएगा। अभी ऑटोमेटिक ड्राइविंग ट्रैक की सुविधा मात्र जयपुर के जगतपुरा कार्यालय में ही लागू है।
ऑटोमेटिक ड्राइविंग ट्रैक से ये होगा
सभी ड्राइविंग ट्रैक पर कैमरे भी लगाए जाएंगे। कंप्यूटर के माध्यम से वाहन चलाने वाले लोगों का एक—एक रिकार्ड दर्ज होगा। कम्प्यूटर में सॉफ्टेवयर फीड होगा। इसमें गाड़ी के हर मूवमेंट की गणना होगी कि किस स्किल में व्यक्ति ने कितना समय लिया, कहां गलती की। ट्रायल पूरा होने पर एक क्लिक में स्किल टेस्ट की रिपोर्ट मिल जाएगी। इसके बाद चालक की दक्षता पाए जाने ही उसे लाइसेंस जारी किया जाएगा। इस ट्रैक पर जब तक दक्षता नहीं होगी लाइसेंस मिलना आसान नहीं होगा। किसी प्रकार की हेराफेरी भी इसमें नहीं की जा सकती है।