एक ऐसा पुराना मामला भी सामने आया है जिसमें गुजरात में एक बार आसाराम ने नरेन्द्र मोदी को चुनौती भरे लहजे में कहा था कि भगवान के काम में सरकार अडंगा ना डाले वरना वो खुद ही नष्ट हो जायेंगे। आसाराम बापू और नरेंद्र मोदी के बीच खींचतान कोई नई बात नही रही है। आसाराम बापू के आश्रम में बच्चे की लाश मिलने का मामला हो या आश्रम की जमीन का विवाद, नरेन्द्र मोदी और आसाराम बापू आमने-सामने होते रहे है। आसाराम कई बार कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी पर भी कई तरह के कटाक्ष कर चुके हैं।
आसाराम ने निर्भया केस में कहा था, ‘वह (पीडि़त लडक़ी) अपराधियों को भाई कहकर पुकार सकती थी। इससे उसकी इज्जत और जान भी बच सकती थी। क्या ताली एक हाथ से बज सकती है, मुझे तो ऐसा नहीं लगता।’ यह दलील देकर आसाराम ख़ुद को अपने प्रवचनों में भक्तों की नजर में बेगुनाह साबित करने की कोशिश कर रहा था।
आसाराम ने इंदौर में एक मंच से भक्तों को गाली दी थी। उन्होंने एक सेवादार को अपशब्द कहे। आसाराम ने प्रवचन के दौरान ही आपा खो दिया और मंच से ही सेवादार को डांटते हुए उनके लिए कई अपशब्द कहे। उन्होंने सेवादार की एक छोटी सी गलती पर कहा कि पागल सेवादार। उसके कपड़े उतार के घर भेजो। बेशर्म कहीं के।
जालंधर में भी मई, 2012 में आसाराम विवादों में घिर गए थे। आसाराम सत्संग में पहुंचे तो थे आर्शीवाद देने, लेकिन पंडाल में पहुंचते ही उनका चेहरा गुस्से से लाल हो गया। पंडाल में संगत के लिए एक भी पंखा न होना उनके गुस्से कारण बन गया। बापू ने अपने सेवादारों को बुला संगत के सामने ही पंखे न लगवाने के कारण उठक-बैठक लगवाई।