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‘हनुमान जी उठा ले गए क्या पहाड़’! SC की टिप्पणी से शर्मसार सरकार ने अचानक उठा लिया ये बड़ा कदम

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जयपुरOct 25, 2018 / 10:47 am

Nakul Devarshi

aravali ranges rajasthan
जयपुर।

सुप्रीम कोर्ट के प्रदेश में स्थित अरावली क्षेत्र के 115 हैक्टेयर इलाके में तुरंत अवैध खनन बंद कराने के आदेश के अगले ही दिन राज्य सरकार इसकी पालना के लिए सक्रिय हो गई। मुख्य सचिव के सुप्रीम कोर्ट में पेश होने वाले शपथ पत्र की तैयारियां शुरू हो गई हैं। इसके तहत प्रदेश के सभी क्षेत्रीय अधिकारियों से मौके का जायजा कराने के बाद अवैध खनन बंद होने का शपथ पत्र लिया जाएगा।
मुख्य सचिव डीबी गुप्ता की बुधवार को खान विभाग के अधिकारियों के साथ हुई बैठक में यह निर्णय किया गया। सुप्रीम कोर्ट ने मुख्य सचिव से राज्य में अवैध खनन बंद होने का शपथ पत्र पेश करने को कहा है। अब इस मामले में सुनवाई 29 अक्टूबर को होगी।
बताया जा रहा है कि राज्य में सेटेलाइट सर्वे में करीब 778 हेक्टेयर में अवैध खनन होना चिन्हित किया गया था, लेकिन मौके पर जांच की गई तो करीब 115 हेक्टेयर में अवैध खनन होना पाया गया। खान अधिकारियों के अनुसार वहां भी अब अधिकांश स्थानों पर अवैध खनन बंद हो गया है, केवल गड्ढों के रूप में अवैध खनन के निशान मौजूद हैं।
खान विभाग के अधिकारियों के मुताबिक 1967 से अब तक प्रदेश में अरावली क्षेत्र की ढ़ाई दर्जन से अधिक पहाडिय़ां अवैध खनन के कारण खत्म हो चुकी हैं। इसको लेकर ही सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की है।
‘राजस्थान की 31 अरावली पहाडिय़ों को क्या हनुमानजी उठा ले गए’
सुप्रीम कोर्ट ने अवैध खनन मामले में सख्ती बरतते हुए मंगलवार को राजस्थान सरकार को निर्देश दिया कि 48 घंटे के भीतर अरावली पहाडिय़ों के 115.34 हेक्टेयर क्षेत्र में अवैध खनन बंद किया जाए। कोर्ट ने पूछा कि क्या इन पहाडिय़ों को हनुमान जी उठा के ले गए हैं। ये पहाडिय़ां गईं कहां। अदालत ने ये भी कहा कि पहाडिय़ों का सृजन ईश्वर ने किया है। कुछ तो ऐसी वजह होंगी जो ईश्वर ने ऐसा किया। ये अवरोधक की भूमिका निभाती हैं। आप सभी पहाडिय़ों को हटाने लगेंगे तो राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के आस-पास के इलाकों के विभिन्न हिस्सों से प्रदूषण दिल्ली आएगा।’
128 में से 31 पहाडिय़ां गायब
न्यायाधीश मदन बी. लोकुर और न्यायाधीश दीपक गुप्ता की पीठ ने कहा कि वह यह आदेश देने के लिए बाध्य हो गई, क्योंकि राजस्थान सरकार ने इस मामले को बहुत ही हल्के में लिया है। शीर्ष अदालत ने केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति की रिपोर्ट का भी जिक्र किया कि राज्य के 128 के लिए गए नमूनों में से अरावली इलाके में 31 पहाडिय़ां अब गायब हो चुकी हैं।
दिल्ली में प्रदूषण का बड़ा कारण!
पीठ ने कहा कि दिल्ली में प्रदूषण स्तर में बढ़ोतरी का एक कारण राजस्थान में इन पहाडिय़ों का गायब होना भी हो सकता है। शीर्ष अदालत ने कहा कि यद्यपि राजस्थान को अरावली में खनन गतिविधियों से करीब पांच हजार करोड़ रुपए की रायल्टी मिलती है, लेकिन वह दिल्ली में रहने वाले लाखों लोगों की जिंदगी को खतरे में नहीं डाल सकता। सुनवाई के दौरान पीठ ने राज्य सरकार के वकील से जानना चाहा कि उसने गैरकानूनी खनन की गतिविधियां रोकने के लिये क्या कदम उठाए।
स्थिति रिपोर्ट में अवैध खनन के संकेत
पीठ ने राजस्थान सरकार की ओर से पेश स्थित रिपोर्ट का जिक्र किया और कहा कि इससे संकेत मिलता है कि राज्य में अरावली रेंज में 115.34 हेक्टेयर इलाके में गैरकानूनी खनन की गतिविधियां चल रही हैं।
कोर्ट ने कहा…
न्यायाधीश लोकुर ने राजस्थान के वकील से कहा, ‘यदि देश में पहाडिय़ां गायब होंगी तो फि र क्या होगा? क्या लोग हनुमान हो गए हैं जो पहाडिय़ां ले जा रहे हैं?’ आप किसे अंधेरे में रखना चाहते हैं। राज्य अरावली पहाडिय़ों को गैरकानूनी खनन से बचाने में विफ ल हो गया है। ऐसा लगता है कि राज्य सरकार ने इस मामले को बहुत ही हल्के में लिया है और शीर्ष अदालत उसकी स्थिति रिपोर्ट से बिल्कुल भी संतुष्ट नहीं है, क्योंकि इसमें से अधिकांश वन सर्वेक्षण विभाग की ‘तथाकथित अक्षमता’ के बारे में है।

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