सुप्रीम कोर्ट ने अवैध खनन मामले में सख्ती बरतते हुए मंगलवार को राजस्थान सरकार को निर्देश दिया कि 48 घंटे के भीतर अरावली पहाडिय़ों के 115.34 हेक्टेयर क्षेत्र में अवैध खनन बंद किया जाए। कोर्ट ने पूछा कि क्या इन पहाडिय़ों को हनुमान जी उठा के ले गए हैं। ये पहाडिय़ां गईं कहां। अदालत ने ये भी कहा कि पहाडिय़ों का सृजन ईश्वर ने किया है। कुछ तो ऐसी वजह होंगी जो ईश्वर ने ऐसा किया। ये अवरोधक की भूमिका निभाती हैं। आप सभी पहाडिय़ों को हटाने लगेंगे तो राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के आस-पास के इलाकों के विभिन्न हिस्सों से प्रदूषण दिल्ली आएगा।’
न्यायाधीश मदन बी. लोकुर और न्यायाधीश दीपक गुप्ता की पीठ ने कहा कि वह यह आदेश देने के लिए बाध्य हो गई, क्योंकि राजस्थान सरकार ने इस मामले को बहुत ही हल्के में लिया है। शीर्ष अदालत ने केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति की रिपोर्ट का भी जिक्र किया कि राज्य के 128 के लिए गए नमूनों में से अरावली इलाके में 31 पहाडिय़ां अब गायब हो चुकी हैं।
पीठ ने कहा कि दिल्ली में प्रदूषण स्तर में बढ़ोतरी का एक कारण राजस्थान में इन पहाडिय़ों का गायब होना भी हो सकता है। शीर्ष अदालत ने कहा कि यद्यपि राजस्थान को अरावली में खनन गतिविधियों से करीब पांच हजार करोड़ रुपए की रायल्टी मिलती है, लेकिन वह दिल्ली में रहने वाले लाखों लोगों की जिंदगी को खतरे में नहीं डाल सकता। सुनवाई के दौरान पीठ ने राज्य सरकार के वकील से जानना चाहा कि उसने गैरकानूनी खनन की गतिविधियां रोकने के लिये क्या कदम उठाए।
पीठ ने राजस्थान सरकार की ओर से पेश स्थित रिपोर्ट का जिक्र किया और कहा कि इससे संकेत मिलता है कि राज्य में अरावली रेंज में 115.34 हेक्टेयर इलाके में गैरकानूनी खनन की गतिविधियां चल रही हैं।
न्यायाधीश लोकुर ने राजस्थान के वकील से कहा, ‘यदि देश में पहाडिय़ां गायब होंगी तो फि र क्या होगा? क्या लोग हनुमान हो गए हैं जो पहाडिय़ां ले जा रहे हैं?’ आप किसे अंधेरे में रखना चाहते हैं। राज्य अरावली पहाडिय़ों को गैरकानूनी खनन से बचाने में विफ ल हो गया है। ऐसा लगता है कि राज्य सरकार ने इस मामले को बहुत ही हल्के में लिया है और शीर्ष अदालत उसकी स्थिति रिपोर्ट से बिल्कुल भी संतुष्ट नहीं है, क्योंकि इसमें से अधिकांश वन सर्वेक्षण विभाग की ‘तथाकथित अक्षमता’ के बारे में है।