भजनलाल सरकार का अपने ही मंत्रियों को ‘झटका’, अब इस ‘फरमाइश’ पर रहेगी रोक – फॉर्मूला तय!
राज्य में पूर्ववर्ती अशोक गहलोत सरकार ने 1992 में भैंरोसिंह शेखावत सरकार द्वारा लाए गए कानून को बदलने के लिए दो साल में तीन कानून बनाए। प्रतियोगी परीक्षाओं में नकल व पेपरलीक बड़ा मुद्दा बनने पर पिछले साल जुलाई में उम्रकैद, 10 करोड़ तक जुर्माने और दोषियों की संपत्ति की कुर्की के प्रावधान जोड़े गए। प्रदेश में अब यह मुद्दा एक बार फिर गरमा गया है, 16 वीं विधानसभा के पहले ही सत्र में सात विधायकों ने पेपरलीक और नकल को लेकर सीधे तौर पर सवाल लगाया है। इनके अलावा कुछ विधायकों ने सभी तरह के आपराधिक मामलों को लेकर भी सवाल पूछे हैं।
पेपरलीक व नकल को लेकर पूछे गए सवालों में से अभी एक का ही जवाब आया है, जिसमें राज्य सरकार ने बताया कि पिछले 9 साल में प्रतियोगी परीक्षाओं में गड़बड़ी के 33 मामलों में 615 लोगों को गिरफ्तार किया गया और उनमें से 32 मामलों में चालान भी पेश हो चुका। एक प्रकरण में अनुसंधान चल रहा है। जानकारी में यह भी आया है कि 32 साल के इतिहास मे अनुचित साधनों के प्रयोग को लेकर छात्र जीवन के समय के एक मामले में मुकदमा वापस भी लिया गया।
2022 के कानून में यह प्रावधान था
10 साल सजा और 10 करोड़ तक जुर्माना और जुर्माना नहीं भरने पर दो साल तक सजा और आईओ संपत्ति भी जब्त कर सकेगा। दोषी परीक्षार्थियों को दो साल तक परीक्षा से बाहर करने व परीक्षा व्यय की राशि वसूलने का भी प्रावधान है। इसके अलावा बोर्ड, कॉलेज, विश्वविद्यालय आदि की परीक्षाओं से संबंधित मामलों में सजा के कानून को अलग किया गया।
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2014 से 2023 तक दर्ज हुए मामले: 2014, 2016, 2018, 2019, 2020, 2021 व 2022
16 वीं विधानसभा: इन विधायकों के पेपरलीक पर पहले सत्र में सीधे सवाल
रविन्द्र सिंह भाटी, हनुमान बेनीवाल, बाबूसिंह राठौड़, रामस्वरूप लांबा, कालीचरण सराफ, रामसहाय वर्मा व अमृतलाल मीना
जल्दी सजा दिलाने के प्रयास
पेपरलीक मामलों में अभियुक्तों की संख्या काफी अधिक है और इससे ट्रायल में अत्यधिक समय लगने की संभावना है। इसलिए विधिक विकल्प जैसे अभियुक्तों की अलग-अलग ट्रायल कराने पर परीक्षण किया जा रहा है, जिससे उन्हें जल्दी सजा मिल सके।
वीके सिंह, एडीजी, एटीएस-एसओजी राजस्थान