दअसल, मामला मार्च 2016 का है। सितंबर 2015 में पुलिस अभिरक्षा से फरार होने के बाद एसओजी और पुलिस की घेराबंदी से कुख्यात आनंदपाल और उसके साथियों को इधर-उधर भटकना पड़ रहा था। उनके पार रुपए नहीं रहे तो लोगों से वसूली करने लगे। आनंदपाल ने सीकर के खान मालिक कृपाल सिंह से वसूली को सम्पर्क किया। कहा कि यदि खान चलानी है तो दस लाख रुपए सालाना देना होगा। नहीं तो खान को बंद कर देगा। धमकी दी कि कृपाल ने पांच साल खान चला ली है, इसलिए 50 लाख रुपए दे।
गिड़गिड़ाया तो 30 लाख रुपए में माना था आनंदपाल एसओजी सूत्रों के मुताबिक, कृपाल सिंह से 50 लाख रुपए न होने से हाथ खड़े कर दिए। आनंदपाल के इशारे पर देवेंद्र उर्फ गट्टू और मोंटी रकम के लिए खान मालिक कृपाल सिंह से मिले। दोनों के सामने जब कृपाल सिंह गिड़गिड़ाया और इतने रुपए का इंतजाम होने से इनकार दिया। गटटू और मोंटी ने फिर आनंदपाल से बात की और कहा कि 30 लाख रुपए दे।
बांटी रकम और छोड़ दिया राजस्थान एसओजी सूत्रों के मुताबिक, कुख्यात आनंदपाल को खान मालिक से 30 लाख रुपए मिले तो उसमे कुछ रकम अपने भाई विक्की और अन्य साथियों में बांट दी। बाकी की रकम लेकर वह राजस्थान छोड़ गया। वह यूपी पहुंचा और वहां पर आगरा में रुका। फिर भरतपुर में रहने वाले पंकज गुप्ता की मदद से जून 2016 में उसने मप्र के ग्वालियर में फरारी काटी। कहने को 16 जून 2016 को एसओजी उसे पकडऩे ग्वालियर पहुंच गई थी लेकिन वह एसओजी से पहले ही वहां से भाग गया था।
एटीएस ने पकड़ा था मोंटीसात अगस्त 2016 को एटीएस ने घेराबंदी करके
उदयपुर से आनंदपाल गैंग का थिंक टैंक महीपाल उर्फ मोंटी को दबोचा था। वह मुम्बई जा रहा था और वहां से वह दुबई जाने वाला था, क्योंकि उससे पासपोर्ट भी मिला था। इधर, एसओजी ने 24 जून 2017 को हरियाणा के सिरसा से देवेन्द्र उर्फ गट्टू और विक्की को पकड़ा था, इसके बाद ही आनंदपाल का उसी रात मालासर में एनकाउंटर हुआ था।