ऐसे विक्रेताओं के खिलाफ विभाग करेगा कार्रवाई
कई लोग बिना लाइसेंस व डिप्लोमा के कीटनाशक बेचने की दुकान खोल लेते हैं। लेकिन अब ऐसे विक्रेताओं के खिलाफ विभाग कार्रवाई करेगा। उल्लेखनीय है कि बिना जानकारी के कीटनाशक दवा बेचने पर कई बार किसानों को गलत दवा दे दी जाती है। जिससे उसका गलत प्रभाव पड़ने से खेती में नुकसान हो जाता है वहीं पशुओं व किसानों के संपर्क में आने से उनकी जान को भी खतरा रहता है। इन दवाओं का असर लंबे समय तक बना रहता है।
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किसान लक्षणों के आधार पर खरीदते हैं दवा …
अधिकतर किसान सीधे ही खुदरा विक्रेताओं से सम्पर्क कर फसल पर कीट एवं व्याधियों के लक्षणों के आधार पर दवा खरीदते हैं। परन्तु खुदरा विक्रेताओं की ओर से कभी-कभी सही जानकारी के अभाव में वांछित दवा कृषकों को उपलब्ध नहीं करा पाते हैं। ऐसे में सही दवाओं की बिक्री के लिए प्रशिक्षण प्राप्त व अनुभवी लोग ही कीटनाशक दवाओं की दुकान खोल सकेंगे। कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि कीटनाशक दवा बेचने के लिए दुकानदार को इससे संबंधित कोर्स करना अनिवार्य होगा। सभी दुकानदारों को कृषि विभाग की ओर से डिप्लोमा करना जरूरी है। अन्यथा दुकानदार का लाइसेंस निलंबित हो जाएगा।
कोर्स के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करना अनिवार्य
ग्राम सेवा सहकारी समितियां में एवं निजी दुकानों पर भी खाद विक्रेताओं की ओर से दवा का विक्रय किया जाता है। अब सभी को इसके लिए डिप्लोमा कोर्स करना होगा। राष्ट्रीय पादप स्वास्थ्य प्रबन्ध संस्थान हैदराबाद की ओर से सभी खुदरा विक्रेताओं व वितरकों जिनकी ओर से भारत सरकार के गजट राजपत्र के अनुसार शैक्षणिक अहर्ता नहीं है। उन सभी खुदरा विक्रेताओं, वितरकों को व्यवसाय जारी रखने के लिए पादप प्रबन्धन पर 12 सप्ताह का सर्टिफिकेट कोर्स 31 जनवरी 2024 तक ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करना अनिवार्य है अन्यथा उनका अनुज्ञापत्र वैद्य नहीं माना जाएगा।जनवरी- 2024 के बाद केवल निर्धारित योग्यताधारी कीटनाशी रसायन विक्रेता ही कीटनाशी रसायनों का व्यापार कर सकेंगे।
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