दरअसल, मंत्री कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने जम्मू-कश्मीर विधानसभा में धारा 370 को पुनः लागू करने की कोशिश को भारत को खंडित करने की मानसिकता का प्रतीक बताते हुए कहा कि यह घटना कांग्रेस और उसके सहयोगियों की नापाक मानसिकता को एक बार फिर उजागर करती है।
मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने क्या कहा?
मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने कहा कि पिछले बुधवार को जब जम्मू-कश्मीर विधानसभा में अनुच्छेद 370 को वापस लाने की कोशिश की गई, तो इंडिया गठबंधन और कांग्रेस इसका समर्थन करने में सबसे आगे थे…यह देश को बांटने की दिशा में एक और कदम है…उन्होंने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि
राहुल गांधी और कांग्रेस ने भारत को तोड़ने वाली ताकतों के साथ हाथ मिलाया है।
उन्होंने राहुल गांधी से सवाल पूछते हुए कहा कि क्या बाबा साहेब अंबेडकर का संविधान जम्मू-कश्मीर में लागू होना चाहिए या नहीं? क्या दो संविधान होने चाहिए? 370 के निरस्त होने के बाद, यह पहली बार था कि दलितों और वाल्मीकि समुदायों ने मतदान किया। क्या वे इन अधिकारों को छीनना चाहते हैं?
आगे राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने कहा कि आज जम्मू-कश्मीर में पत्थरबाजी बंद हो गई है, अलगाववाद 70 फीसदी कम हो गया है और पर्यटन बढ़ गया है…वे यह सब छीनना चाहते हैं…धारा 370 हटाने के बाद कश्मीर में शांति आई…यह तब संभव हो पाया जब प्रधानमंत्री के नेतृत्व में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने धारा 370 और 35ए को समाप्त किया। इसके बाद वहां के हर नागरिक को सभी तरह के अधिकार मिले।
राठौड़ ने कहा कि मैं स्पष्ट रूप से बता देना चाहता हूं कि इन्होंने जम्मू कश्मीर विधानसभा में जो धारा 370 को लेकर प्रस्ताव पास किया है, इससे कांग्रेस की पोल खुली है। राठौड़ ने कहा- लेकिन हमारे नागरिक पूरी तरह से संतुष्ट रहे, धारा 370 का अंतिम संस्कार कर दिया गया है, यह वापस खड़ी नहीं हो सकती है।
राहुल गांधी के लेख पर क्या कहा?
राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा कि राहुल गांधी ने एक आर्टिकल में लिखा कि किस तरह से ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत को लूटा था। भारत को आजाद होने के बाद भारत की सबसे बड़ी प्राइवेट लिमिटेड पॉलिटिकल पार्टी ने भी वही किया जो ईस्ट इंडिया कंपनी ने किया था। इन्हीं के परिवार ने भारत के परिवार को लूटने का काम किया। राजनीतिक भाषा में युवराज किसको कहा जाता है। यह आप और हम अच्छी तरह जानते हैं। गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर विधानसभा में बुधवार को राज्य का विशेष दर्जा बहाल करने का प्रस्ताव पारित किया गया था। इसके लिए निर्वाचित प्रतिनिधियों से बातचीत करने को कहा गया था। इसके बाद से ही अनुच्छेद 370 हटाए जाने की अटकलें शुरू हो गई हैं।