scriptRajasthan Politics: अनशन के बाद सचिन पायलट ने दिल्ली में डाला डेरा, आज हो सकता है बड़ा फैसला | Action on Ashok Gehlot and Sachin Pilot will be decided in Delhi today | Patrika News
जयपुर

Rajasthan Politics: अनशन के बाद सचिन पायलट ने दिल्ली में डाला डेरा, आज हो सकता है बड़ा फैसला

Rajasthan Politics : राजस्थान कांग्रेस में एक बार फिर उठे राजनीतिक बवंडर के बीच जहां एक तरफ मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बेफिक्र नजर आ रहे हैं, वहीं पार्टी आलाकमान इस मुद्दे को ज्यादा भाव देने के मूड में नजर नहीं आ रहा।

जयपुरApr 13, 2023 / 10:09 am

Anand Mani Tripathi

ashok gehlot

ashok gehlot

Rajasthan Politics : राजस्थान कांग्रेस में एक बार फिर उठे राजनीतिक बवंडर के बीच जहां एक तरफ मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बेफिक्र नजर आ रहे हैं, वहीं पार्टी आलाकमान इस मुद्दे को ज्यादा भाव देने के मूड में नजर नहीं आ रहा। इसकी बानगी बुधवार को जयपुर में हुई प्रेस काॅन्फ्रेंस में भी दिखी। गहलोत पायलट से जुड़े सवालों को चतुराई से टाल गए और पूरी प्रेस काॅन्फ्रेस गहलोत के मिशन-2030 के इर्द-गिर्द ही सिमटी नजर आई।

अशोक गहलोत ने यह संदेश देने की कोशिश की है कि इस तरह के अनशन से सरकार और पार्टी की सेहत पर कोई असर पडऩे वाला नहीं। वहीं पार्टी आलाकमान ने भी पायलट के मुद्दे को तूल न देने की ठान ली है। जयपुर में अपने के अनशन के बाद पायलट ने दिल्ली में डेरा डाले रखा, लेकिन किसी बड़े नेता से उनकी मुलाकात नहीं हो पाई।

राजस्थान के मुद्दे पर कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा की पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे से मुलाकात में क्या हुआ इसका ब्योरा सामने नहीं आया है। गुरुवार को इस मुद्दे पर एक बार फिर रंधावा और खरगे की मुलाकात होने की बात सामने आ रही है। लगता है कि कांग्रेस आलाकमान ने पायलट के बार-बार आंख दिखानेे को इस बार गंभीरता से लिया है। पायलट के अनशन पर बैठने की घोषणा के तुरंत बाद पार्टी ने उनके इस फैसले को अनुशासनहीनता करार दे दिया था।

पहले दिल्ली से खबरें भी आईं कि रंधावा धरने के दिन जयपुर आकर पायलट मिलेंगे, लेकिन बाद में उनका कार्यक्रम टाल दिया गया। आलाकमान को लगता है कि पूरा फोकस अब टकराव की बजाए विधानसभा चुनावों पर होना चाहिए और शायद यही कारण है कि कांग्रेस के तमाम केंद्रीय नेता गहलोत सरकार की उपलब्धियों को तवज्जो दे रहे हैं। इसके सीधे से राजनीतिक मायने यही निकलते हैं कि आलाकमान इस माहौल में पूरी तरह गहलोत के साथ खड़ा नजर आना चाहता है।

वैसे तो सच यह भी है कि मौजूदा सरकार में जब भी सत्ता पर संकट आया, तब हर बार शीर्ष नेतृत्व ने गहलोत को ही प्रश्रय दिया है। हालांकि कांग्रेस को इस भंवर में उलझाने वालों को लेकर आरोप-प्रत्यारोप के दौर लगातार चलते रहे हैं। आलाकमान की तल्खी के बावजूद अपनी ही सरकार के खिलाफ अनशन पर बैठने वाले सचिन पायलट के समर्थक इस बार आर-पार की लड़ाई भले ही बता रहे हों, लेकिन गहलोत, जनकल्याणकारी योजनाओं के दम पर एक बार फिर सरकार बनाने की जुगत में हैं।

वे लगातार कह भी रहे हैं कि इस बार पार्टी की सत्ता में वापसी करा वे यह मिथक तोडऩा चाहते हैं कि राजस्थान में सरकार रिपीट नहीं होती। यह बात और है कि पार्टी कार्यकर्ता इस सत्ता संघर्ष को लेकर उहापोह की स्थिति में हैं। कार्यकर्ताओं के मन में सवाल उठने लगे कि ऐसे ही हालात रहे तो पार्टी फिर से सत्ता कैसे हासिल कर पाएगी। अब तो कार्यकर्ताओं का भी सवाल है कि शीर्ष नेतृत्व आखिर दो टूक फैसला क्यों नहीं ले रहा।

https://youtu.be/ZsrGPhtKTfg

Hindi News / Jaipur / Rajasthan Politics: अनशन के बाद सचिन पायलट ने दिल्ली में डाला डेरा, आज हो सकता है बड़ा फैसला

ट्रेंडिंग वीडियो