पुरातत्व स्थलों के लिए और मंदिर निर्माण के लिए पैसे तो बहुत आते हैं, लेकिन इसकी जमीनी हकीकत कुछ और है। गांव के सरपंच उमेश कश्यप ने बताया कि ग्रामीणों ने अपनी क्षमता के अनुसार पैसे दिए और श्रमदान कर उसी स्थान पर माता का नया मंदिर बना दिया। गांव के पुजारी बंधुराम मौर्य, पुजारी अंतुराम व ग्रामीण चैन सिंह पटेल ने बताया कि ग्रामीणों की एकता के चलते ही यह कार्य हो पाया।
शहर से लगभग 30 किलोमीटर दूर छिंदगांव मे छिंदक नागवंशियों ने 12 वीं शताब्दी में जिस शिव मंदिर को बनाया था, आज वह गिरने की कगार पर है। पुरात्व विभाग व जिला प्रशासन की अनदेखी के चलते मंदिर जर्जर हो चुका है। दीवार और छत कभी भी गिर सकती है, ग्रामीणों के कई बार शिकायत करने के बावजूद अब तक मंदिर के जीर्णोद्धार पर किसी का ध्यान नहीं गया है।