छत्तीसगढ़िया स्त्रियों की बात करें तो उनमें भी यही बात है कि जिस तरह भाषा किसी क्षेत्र की पहचान होती है, गहने भी उस क्षेत्र की पहचान कराते हैं। एक दौर में छत्तीसगढ़ी महिलाएं तोड़ा, सुर्रा, पुतरी, करधन इत्यादि बनाती थी। लेकिन अब कई चीजें लुप्त होने के कगार पर है। तो आइए आज जानते हैं उन गहनों के बारे में जो महिलाओं के छत्तीसगढ़िया होने की पहचान या बोध कराते हैं।
छत्तीसगढ़ी आभूषण के नाम
1. पुत्री
पुत्री का अर्थ होता है गुड़िया। पुत्री पहनकर महिलाएं गुड़िया के समान दिखाई देती हैं। ₹1 के सिक्कों को कुछ बड़े कर के 10- 12 सिक्कों को एक मोटे धागे में खास तरीके से गूंथा जाता है। ये सिक्के प्राचीन समय में चांदी से बनाए जाते थे। मगर कालांतर में चांदी का स्थान और भी अन्य धातुओं ने ले लिया। इन सिक्कों पर विशेष तरह के चिन्ह अंकित होते हैं। इन्हें ठप्प कहा जाता है ।
2. सुता
सुता भी चांदी से बनने वाला गहना होता है। आमतौर पर, यह मध्यमा उंगली की मोटाई जितना गोलाकार होता है। इस घने को गले में पहना जाता है यह अन्य गहनों की अपेक्षा भारी होता है।
3. सुर्रा
छत्तीसगढ़ में एक ऐसा भी घना होता है जो लाख से बनता है। इसे सुर्रा कहा जाता है। लाख के ऊपर सोने की परत चढ़ा कर सुर्रा बनाया जाता है। इसकी आकृति गोल होती है तथा इसे भी गले में पहना जाता है। इसकी बनावट काफी आकर्षक होती है।
3. ढार
ढार एक ऐसा घना होता है जो सोने से बनाया जाता है। यह बड़े आकार का गहना होता है । छत्तीसगढ़ी महिलाओं द्वारा इसे कानों में पहना जाता है। लेकिन कानों में पहने जाने वाले दूसरे गहनों की तुलना में यह ज्यादा भारी होता है।
4. नागमोरी
छतीसगढ़ी महिलाओं द्वारा पहना जाने वाला बाजूबंद का एक रुप नागमोरी है। इस गहने को दोनों बाहों में पहना जाता है। यह चांदी से बना होता है। इस घने को नागमोरी इसकी बनावट के कारण कहते हैं, जो कि सर्पाकार होता है। यह पतला और मोटा एवं दो से ढाई इंच चौड़ा हो सकता है।
5. ऐंठी
ऐंठी कंगन की तरह कलाइयों में पहने जाने वाला तथा चांदी से बना हुआ गहना होता है। ऐंठी शब्द ऐंठने से बना है जिसका अर्थ है गूथना। दो धागों को आपस में मिलाकर ऐंठने (गूथने) से जैसी आकृति बनती है, वैसी ही आकृति इस गहने की भी होती है। चांदी की ऐंठन बड़ी आकर्षक होती है। छत्तीसगढ़ की ग्रामीण महिलाएं कांच की चूड़ियों की तरह ऐंठी जरूर पहनती हैं। ऐंठी नामक इस गहने को स्त्री के सुख समृद्धि के प्रतीक के रूप में देखा जाता है ।
6. करधन
करधन नाम के इस गहने को कमर में पहना जाता है। यह बेहद मनमोहक गहना है। इसे पहनने के बाद ऐसा लगता है मानो कमर में धन रखा हो और शायद इसलिए इसे करधन कहा जाता है। इसे ग्रामीण ही नहीं, शहरी महिलाएं भी धारण करती हैं।
7. लच्छा
महिलाएं अपने पैर में पायल का दूसरा रूप लच्छा का प्रयोग करती हैं। इसे चांदी से बनया जाता है। यह चौड़े पट्टे का गहना होता है, जो पैर में फिट रहता है ।
8. पैजन
पैरों में पहने जाने वाला तथा चांदी से बना गहना पैंजन है, जिसमें घुंगरू होता है। यह आमतौर पर कुंवारी कन्याओं के लिए बनाया जाता है।
9 . नकबेसर
स्वर्ण निर्मित नाक में पहनने वाला गहना नकबेसर है। इसका बसेरा नाक में ही होता है। शायद इसलिए से नकबेसर कहा गया है। आम बोलचाल में अब इसे फुल्ली कहते हैं चेहरे की खूबसूरती नाक में नकबेसर पहनने से ही निखर उठती है
10 ककनी
हाथों में चूड़ियों के साथ पहनने वाला चांदी से निर्मित गहना ककनी है, जिसकी बनावट नुकीली होती है ।
11. बिछिया
पांव की उंगलियों में पहना जाने वाला तथा चांदी से बना कहना बिछिया है। ग्रामीण महिलाएं शादी होने के बाद बिछिया पहनती हैं। बिछिया का प्रचलन आज शहरी महिलाओं के बीच भी है।
12. पटा
चांदी निर्मित पटा सादगी सरलता व सीधेपन का प्रतीक है। इसे चूड़ियों के बीच बीच में पहना जाता है, यह एकमात्र ऐसा गहना है जिसका परित्याग महिलाएं विधवा होने के बाद भी नहीं करती।
13. तोड़ा
यह घना चांदी से बना होता है। इसे पाव में पहना जाता है। यह गहना करीब 10 से 20 तोले तक का होता है। यह गहना काफी मोटा व वजनदार और विभिन्न डिजाइनों का होता है।