दौड़ा-दौड़ाकर पकड़ा और उन्हें भी मौत के घाट उतार दिया
इसके बाद जब जवानों को पता चला कि यह माओवादी नहीं बल्कि ग्रामीण हैं, तो घबराकर इस घटना के प्रत्यक्षदर्शीयों यानी के स्थानीय ग्रामीणों को दौड़ा-दौड़ाकर पकड़ा और उन्हें भी मौत के घाट उतार दिया। और इस तरह 15 लोगों को मार डाला। सोनी का कहना है कि उन्हें भी परिजनों से मिलने नहीं दिया जा रहा था किसी तरह चखमा देकर ग्रामीणों से बात हुई थी। वहीं जब उनसे मिलने के दौरान ही ग्रामीणों को पुलिस ने एक एक कर उनसे छिपा दिया।
गांव वाले नहीं आते तो देवा और बुधरी भी नहीं बचते
सवाल यह है कि जब जवानों ने प्रत्यक्षदर्शीयों तक को जान से मार दिया तो बुधरी और देवा को क्यों छोड़ दिया। सोनी सोढ़ी बताती हैं कि गांव वालों ने उन्हें बताया कि जब गोलियों की आवाज आई तो यहां आस पास के बड़ी संख्या में ग्रामीण घटनास्थल की ओंर भागे। तब तक बुधरी व देवा बच गए थे। बड़ी संख्या में ग्रामीणों को देख उन्होंने इन देानों को तो छोड़ दिया लेकिन किसी को इस सच्चाई के बारे में नहीं बताने की धमकी दी है। यदि गांव वाले समय पर नहीं आते तो बुधरी व देवा को भी मार दिया जाता और मृतक माओवादियों की संख्या 17 हो जाती। गांव वालों ने डेडबॉडी मांगी, लेकिन नहीं दिया
…और भी घायल हैं, जो जान के डर से नहीं आ रहे सामने : नुकलातोंग इलाके में हुई कथित मुठभेड़ में और भी बहुत से लोग घायल हुए हैं, जो पुलिस के हाथ नहीं लगे हैं। एेसे लोग घायल अवस्था में अपनी जान बचाने छिपे हुए हैं। सोनी ने बताया कि अब जवान इनकी भी तलाश कर रहे हैं।
गोली चली तो सिर्फ निहत्थोंं के ऊपर
सोनी सोढ़ी ने दावा किया है कि जवानों ने सिर्फ और सिर्फ निहत्थे ग्रामीणों के उपर गोली चलाई है। उनका कहना है कि यह इलाका माओवाद ग्रस्त है, लेकिन घटना के दौरान यहां न तो किसी तरह की बैठक चल रही थी और न हीं यहां कोई माओवादी मौजूद था। गलती छिपाने के लिए पुलिस नई नई कहानी बना रही है।
ग्रामीणों ने शव देने की बात कही
सोनी ने दावा किया कि घटना के बाद मौके पर पहुंचे ग्रामीणों ने शवों को देने की मांग की, लेकिन जवानों ने मना कर दिया। इसके बाद जवानों के पीछे पीछे वे पहले दोरनापाल पहुंचे और उसके बाद सुकमा पहुंचकर करीब 24 घंटे तक अपनों के शव के लिए सुकमा अस्पताल में रहे।
सच्चाई का पता लगाने सोनी आज जाएंगी गांव
सोनी सोढ़ी ने कहा कि इस घटना की और अधिक जानकारी लेने और सच्चाई सामने लाने के लिए वे गांव और घटनास्थल जाएंगी। उन्होंने कहा कि इस बार बस्तर के अन्य अन्य जगहों से भी लोग उनसे फोन पर संपर्क कर गांव चलने की बात कह रहे हैं। संभवत: गुरुवार को इन इलाकों में जाने के लिए रवाना होंगी।