यही वजह है कि जैसे ही मंगलवार की शाम अंतिम चरण के बाद भाजपा प्रत्याशी महेश कश्यप को विजेता घोषित किया गया वैसे ही राजनीतिक गलियारे में जोरों से गूंजने लगी। वहीं दूसरी तरफ बस्तर लोकसभा सीट पर भाजपा ने 5 साल बाद फिर से वापसी कर ली है। इस जीत ने जहां एक ओर भाजपा की की लोकसभा में ताकत और संगठनात्मक क्षमता को एक बार फिर बता दिया है वहीं कांग्रेस की हार के लिए प्रदेश कांग्रेस की कमजोर संगठनात्मक क्षमता को जिमेदार ठहरा रहे हैं।
Bastar Lok Sabha Election Result 2024: आला नेताओं की कार्यक्षमता पर उठ रहे सवाल
दरअसल इंडिया गठबंधन में सीपीआई भी उनके साथ थी। बस्तर में सीपीआई संगठन भी चाहता था कि कांग्रेस पार्टी उनसे संपर्क करें, लेकिन कांग्रेस संगठन ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। इसलिए सीपीआई ने भी अपना उमीदवार इस सीट पर उतार दिया। जानकार बताते हैं कि पहले राउंड में बस्तर में चुनाव हुआ। इसलिए जरूरी था कि आला नेता अपने एलायंस के लोगों से बात करते, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ और इसका खामियाजा बस्तर के कांग्रेस प्रत्याशी को भुगतना पड़ा। सीपीआई नेता ने कहा था अनदेखी कर रही कांग्रेस
यह बात यूं ही नहीं कही जा रही कि सीपीआई ने कांग्रेस का खेल बिगाड़ दिया। दरअसल चुनाव के दौरान यह बात खुद बस्तर में सीपीआई के दिग्गज नेता मनीष कुंजाम ने कही थी। प्रत्याशी मैदान में उतारने के सवाल में उन्होंने खुद कहा था कि प्रदेश में कांग्रेस अलग ही घमंड में है। गठबंधन में शामिल होने के बाद भी उन्हें तरजीह नहीं दी गई। जिसके कारण प्रत्याशी मैदान में उतारा गया। वामदल प्रत्याशी ने ही पूरा खेल बिगाड़ दिया।
Bastar Lok Sabha Election Result 2024: विधानसभा के बाद लोकसभा में भी जमकर पड़े वोट सीपीआई से बातचीन न करना भी पड़ा भारी
बस्तर में एक बार फिर नोटा का जोर दिखा। बस्तर लोकसभा सीट में कांग्रेस व भाजपा के बाद नोटा तीसरे नंबर पर रहा जबकि चुनावी मैदान में 11 प्रत्याशी मैदान में थे। सबसे ज्यादा नोटा को दंतेवाड़ा में 9467 और इसके बाद चित्रकोट में 6588 मत मिले। वहीं डाक मतपत्र में भी 25 वोट नोटा को पड़े हैं। इस तरह कुल नोटा को कुल 36758 मत मिले हैं। बस्तर में नोटा पर मत पडऩे के मामले में पहले भी रिकार्ड बना चुका है।