इस मार्ग पर जर्जर हो चुके एनएच 30 को जल्द ही बायपास के जरिये नयी व्यवस्था नहीं किये जाने पर्यावरण को नुकसान होना नि श्चित है। कांगेर घाटी सदियों से अपनी नैसर्गिक सुंदरता और दुर्लभ जीव जंतुओं के अलावा अपने शांत और सुरम्य वातावरण के लिये जाना जाता है। यहां पर एनएच में बढ़ रहे भारी भरकम वाहनों की दबाव इस सुंदरता को नष्ट कर रही है। इस मार्ग के चलते यहां गुफाओं और वन्य प्रा णियों की रहवास को भी प्रभावित कर रहा है।
नेगानार-कावारास- मादरकोंटा मार्ग विकल्प
कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान के पहले ग्राम नेगानार से कावारास होकर दरभा मार्ग को बायपास के रूप में डेवलप कर वैक ल्पिक व्यवस्था किया जा सकता है। यह मार्ग वर्तमान में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत बना हुआ है जिसे एनएचआई चाहे तो बायपास मार्ग के रूप में विकसित कर भारी भरकम वाहनों के लिये प्रयोग में लाया जा सकता है। इस मार्ग के विकसित हो जाने से कांगेर घाटी में बढ़ रहे वाहनों के दबाव को कम किया जा सकता है।
एनएचआई को लिखा पत्र ठंडे बस्ते में
कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान के प्रबंधन द्वारा एनएचआई को उक्त कारकों से अवगत कराते हुए बायपास निर्माण के लिये पत्र भी लिखा गया था। पत्र में वैक ल्पिक व्यवस्था हेतु आवश्यक सुझाव भी दिये गये थे किन्तु आज तक उस पत्र का कोई सकारात्मक जवाब नहीं आया। इस तरह एनएचआई की बेरूखी से यही लगता है कि वह राष्ट्रीय उद्यान के बिगड़ते हालात पर नहीं आ रहा है।
वर्सन
1 कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान क्षेत्र में नेशनल हाईवे-30 उद्यान के इकोलॉजिकल बैलेंस के लिए खतरा बनता जा रहा है। इस हाईवे पर लगातार ट्रैफिक का दबाव बढ़ रहा है इससे आने वाले समय में यहां के वन्यजीव, जलस्त्रोत और भू-गर्भीय गुफाओं के लिए खतरा पैदा होता जा रहा है। यहां के पार्यावरण को भी इससे भारी नुकसान पहुंच रहा है जो चिंता का वि षय है।
हेमंत कश्यप, पर्यावरण प्रेमी
2 एनएचएआई (नेशनल हाईवे एथॉरिटी ऑफ इंडिया) को पत्र लिखकर बाईपास के निर्माण की मांग की गई है ताकि पार्क की नैसर्गिक पर्यावरण व जीव जंतुओं को सुर क्षित किया जा सके। पत्र के संबंध में अभी तक कोई ठोस जवाब तो नहीं आया है किन्तु उम्मीद है कि सरकार इस दिशा में कोई सकारात्मक पहल करेगी।
धम्मशील गणवीर, डायरेक्टर कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान