लेकिन सर्वेक्षण के लिए आये विशेषज्ञों के मुताबिक यहां पक्षियों का अनोखा संसार जिसे सैलानियों को अवश्य दिखाया जाना चाहिए। घाटी प्रबंधन द्वारा इसकी तैयारी भी शुरू भी कर दिया है। यहां दो वाच टावर का निर्माण किया जा रहा है जिसके लिये स्थान चयन की प्रक्रिया जारी है।
कांगेरघाटी में जल्द ही बर्ड वाच टावर
जानकारी के मुताबिक बस्तर के कांगेरघाटी राष्ट्रीय उद्यान में प्रतिवर्ष हजारों देशी विदेशी सैलानी पहुँचते हैं। यहां कुटुमसर गुफा के अलावा तीरथगढ़ जलप्रपात मुख्य आकर्षण है। आने वाले दिनों बहुत जल्द ही यहां पक्षियों को देखने बर्ड वाच टावर के निर्माण किया जा रहा है। जिसके बाद यहां पाये जाने वाले सैकड़ों प्रजातियों के पक्षियों को देखा जा सकेगा।
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घाटी में कई दुर्लभ प्रजाति के पक्षी
पक्षी विशेषज्ञों के मुताबिक बस्तर में पक्षियों के रहवास के लिए अनुकूल वातावरण पाया गया है। इसी वजह से यहां कई दुर्लभ प्रजाति के पक्षी देखे गए।मालाबारी ट्रोगोन, कलसिरी पीली बुलबुल, पिला राम गांगरा, काला बाजा, जर्डन बाजा सहित छोटा तोता बहुतायत संख्या में पाया गया है। वहीं सफेद छाती किलकिला, कौडियाला किलकिला, ग़जपाव सहित अनेक दुर्लभतम पक्षी पाया गया जो सिर्फ बस्तर में ही देखे जा सकते हैं।
ईको टूरिज्म के अंतर्गत बर्ड वाचिंग रोडमेप
कांगेरघाटी में पक्षी सर्वे के बाद प्रबंधन यहां पहुंचने वाले पर्यटकों के लिए बर्ड वाचिंग रोडमेप तैयार किया जा रहा है जिसके चलते यहां पक्षी प्रेमियों को भारत के पश्चिमी घाट एवं पूर्वीय हिमालय में पाए जाने वाले पक्षियों को देख पाएंगे। इसके अलावा यहां पहुँचने वाले यूरोपीय देशों और सेंट्रल एशियाई देशों के पक्षियों को भी देखने की आसानी होगी।
कांगेरघाटी निदेशक धम्मशील गणवीर ने कहा, बर्ड सर्वेक्षण के बाद कांगेरघाटी राष्ट्रीय उद्यान में ईको-टूरिज्म के रोडमेप बनाया जा रहा है। बहुत जल्द ही यहां पर बर्ड वॉचिंग के लिए टावर बनाये जाएंगे।