यही वजह है कि अब तक इस अभियान की शुरूआत ठीक से हो ही नहीं पाई है। बस्तर में मलेरिया का कहर दिखने के पीछे का एक बड़ा कारण यह भी है। आज बीजापुर से लेकर बस्तर तक में मलेरिया के मरीज मिल रहे हैं। बारिश वह मौसम है जब जेई, डेंगू और मलेरिया के सबसे ज्यादा मरीज मिलते हैं इसलिए ऐन इसके पहले अभियान चलाया जाता है। लेकिन इस बार ऐसा नहीं किया गया। जिसकी वजह से बस्तर में मलेरिया ने पैर पसारे और आज मलेरिया का दसवां चरण रूक गया है और इसके प्रतिकूल प्रभाव बस्तर में नजर आ रहे हैं।
कोरोनाकाल में भी चला अभियान
बस्तर को मलेरिया मुक्त करने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने चरणों में काम करना शुरू किया। साल में करीब तीन चरण आयोजित किए जाते हैं। 2020 से शुरू हुए इस चरणबद्ध कार्यक्रम में अब तक नौ चरण हो चुके है। इन चरणों के बीच में कोरोनाकाल भी आया। लेकिन विभाग ने इस काम की गति धीमी नहीं पडऩे दी। नतीजतन पहले चरण में जहां दो लाख लोगों की जांच कर 5000 से अधिक संक्रमित मरीज ढूंढ निकाले थे। वहीं 2023 आते आते जांच की संख्या साढ़े 9 लाख तक पहुंच गई। लेकिन लगातार अभियान के चलते संक्रमितों की संख्या एक हजार से भी कम पहुंच गई है।
5 जुलाई को पूरा हो जाना था अभियान
दरअसल मलेरिया मुक्त अभियान के तहत पिछले दो साल में 9 चुरण तक निरंतर चला। इसके तहत सफलता भी भी मिली। स्वास्थ्य विभाग को जो मलेरिया मुक्त अभियान का कैलेंडर मिला है उसके तहत 5 जुलाई तक दसवां चरण खत्म हो जाना चाहिए था। लेकिन बस्तर की यह बदकिस्मती ही है कि अब तक यहां अभियान ठीक ढंग से शुरू ही नहीं हुआ है। ऐसे में इसका खामियाजा बस्तरवासियों को जान गंवाकर चुकाना पड़ रहा है। स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक जब मलेरिया मुक्त अभियान के दसवें चरण को संचालित करने की बारी सामने आई तो इसके लिए जरूरी आवश्यक लॉजिस्टिक उपलब्ध कराने थे। वह उनके पास थी ही नहीं। ऐसे में जब विभाग ने सरकार से बात की तो मलेरिया उन्मुलन के लिए बजट और उपलब्ध सामाग्री के बारे में जानकारी ली।
मलेरिया मुक्त अभियान के तहत ढाई साल में 9 लाख लोगों की जांच की गई
बस्तर में मलेरिया मुक्त अभियान के तहत पछिले ढाई साल में इस संक्रमण की रोकथाम में जबरदस्त काम किया है। अब तक बस्तर की सबसे बड़ी समस्या माने जाने वाली मलेरिया बिमारी के आंकड़े दो साल में ही 1000 गुना तक कम हो गए है। सीएमएचओ कार्यालय से मिली जानकारी के मुताबिक दो साल पहले जहां विभाग सिर्फ सालभर में 2 लाख लोगों तक पहुंचता था। वहीं 2022 में इसकी संख्या बढकर 9 लाख तक पहुंच चुकी है। वहीं दूसरी तरफ जहां जांच की संख्या बढ़ रही वहीं संक्रमितों की संख्या में भारी कमी आई है। स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक यह आंकड़े दो साल पहले 10 हजार से भी अधिक थे। लेकिन अब इनकी संख्या एक हजार के करीब हो गई है। यह बस्तर में मलेरिया मुक्त अभियान की दिशा में काफी कारगर साबित हो गई थी।