scriptकोटमसर गुफा सैलानियों के बंद? 10 दिनों से जारी है ग्रामीणों का प्रदर्शन, जानिए विवाद का कारण | Kotamsar cave closed for tourists? Villagers' protest continues for 10 days | Patrika News
जगदलपुर

कोटमसर गुफा सैलानियों के बंद? 10 दिनों से जारी है ग्रामीणों का प्रदर्शन, जानिए विवाद का कारण

CG Kotamsar: कोटमसर गुफा सैलानियों के लिए बंद हो गया है। ग्रामीणों के विरोध प्रदर्शन के चलते अब कब खुलेगा कुछ कहा नहीं जा सकता, इस बीच पत्रिका की टीम ने ग्रामीणों से सवाल किया..

जगदलपुरNov 10, 2024 / 01:24 pm

चंदू निर्मलकर

Chhattisgarh Kotamsar
CG Kotamsar: कांगेर घाटी स्थित कोटमसर गुफा का द्वार 10 दिन बाद भी नहीं खुल पाया है। यहां के ग्रामीण गांव से टिकट काउंटर शिफ्ट किए जाने के विरोध में लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं और उनका कहना है जब तक पुरानी व्यवस्था बहाल नहीं होती वे डटे रहेंगे, किसी हाल में नहीं हटेंगे। शनिवार को ‘पत्रिका’ की टीम प्रदर्शन कर रहे ग्रामीणों के बीच पहुंची।

CG Kotamsar: विरोध का यह प्रमुख कारण

इस दौरान ग्रामीणों नेे दो प्रमुख सवाल खड़े करते हुए कहा कि सालभर पहले जब पार्क प्रबंधन गांव में टिकट काउंटर खोल रहा तो बायोडायवर्सिटी की चिंता क्यों नहीं की गई? इसके अलावा जब पार्क क्षेत्र में ही स्थित तीरथगढ़ तक हजारों वाहन जा सकते हैं तो उनके गांव तक क्यों नहीं? ग्रामीणों ने कहा कि बस्तर आने वाले सैलानियों को यहां की संस्कृति और खानपान से रूबरू कराने कांगेर घाटी प्रबंधन ने खुद गांव में ही टिकट काउंटर खोला था।
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CG Kotamsar: अब उसे हटाकर ग्रामीणों का रोजगार क्यों छीना जा रहा है। पार्क प्रबंधन कामानार में टिकट काउंटर खोलने पर अड़ा हुआ और ग्रामीण इस व्यवस्था को स्वीकार नहीं कर रहे हैं। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि पार्क प्रबंधन के इस फैसले से गांव के युवा और महिलाएं बेरोजगार हो गए हैं। ग्रामीणों का कहना है कि जब तक पार्क प्रबंधन यहां के निवासियों के रोजगार और व्यवसाय का व्यवस्था नहीं करता तब तक किसी भी पर्यटक को कोटमसर गुफा तक नहीं जाने देंगे।

डीजल वाहन का प्रवेश वर्जित

कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान के एसडीओ कमल तिवारी ने कहा कि कांगेर घाटी नेशनल पार्क क्षेत्र में डीजल वाहनों का प्रवेश वर्जित है। डीजल वाहनों के चलने से वन्यप्राणियों तथा वन सपदा पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। प्रति दिन पार्क क्षेत्र के अंदर 200 से 300 वाहन एवं बसों के प्रवेश होने से पार्क क्षेत्र की कच्ची रोड बहुत ही क्षतिग्रस्त हो रहा है। अनियमित वाहनों एवं पर्यटकों के प्रवेश से राष्ट्रीय उद्यान में पाए जाने वाले जैवविविधता पर भी असर पड़ रहा है।

पहाड़ी मैना हो रही प्रभावित

वाहनों के आवगमन के शोर और हॉर्न ध्वनि से वन्य जीवों विशेषकर मार्ग के आस-पास के पेड़ों में वास करने वाली पहाड़ी मैना का प्राकृतिक रहवास प्रभावित हो रहा है। वे तेज हॉर्न ध्वनि से विचलित होकर अपने स्थान से अन्य स्थान पलायन कर रहे हैं। इस कारण से पार्क क्षेत्र में आने वाले पर्यटकों को पहाड़ी मैना दिखाई नहीं दे रही। इससे पहाड़ी मैने का संरक्षण और संवर्धन भी प्रभावित हो रहा है।

उद्देश्य था कि रोजगार के अवसर पैदा करना

कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान ने बीते कुछ वर्ष पार्क क्षेत्र में पर्यटन केंद्रों को विकसित करते हुए, उनमें सुविधाएं बढ़ाते हुए। वहां के स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार के अवसर पैदा किए। इसी थीम की वजह से धुड़मारास को राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कार मिल पाया। अब जब यह प्रयोग सफल हो चुका है तो इसे आगे नहीं बढ़ाना ग्रामीणों की नाराजगी का मुय कारण बन चुका है।

कोटमसर गुफा से ज्यादा वाहन तीरथगढ़ तक जाते हैं

ग्रामीणों ने कहा कि पार्क प्रबंधन अपनी सुविधा और कमाई के लिए राष्ट्रीय उद्यान में नियम और शर्तें लागू कर रहा है। एक ओर प्रबंधन हर रोज हजारों वाहनों को तीरथगढ़ तक जाने से नहीं रोक रहा है तो वहीं दूसरी ओर कुछ वाहनों को कोटुमसर जाने से रोका जा रहा है। इससे प्रबंधन की दोहरी नीति उजागर होती है। ग्रामीणों ने कहा कि कोटमसर में पूरे साल सैलानी नहीं आते। यहां आने वाले सैलानियों की संया तीरथगढ़ से काफी कम है। ऐसे में वन्य जीवों को खतरा होने की बात कहना गलत है। प्रबंधन को इस पर विचार करना चाहिए।

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