जी हां हम बात कर रहे हैं बस्तर की होनहार बेटी जिज्ञासा की जिसकी कुछ नया करने और अपनी अलग पहचान बनाने की दृढ़ निश्चय और जूनून ने इंजीनियर से आईएएस बनने का सपना साकार कर अपने लक्ष्य को पाकर सफलता की नई ईबारत लिखी है। उसने अपने सफलता के राह में आये असफलताओं से हार नहीं मानते हुए पिछली गलतियों को सुधार कर अपनी मंजिल हासिल किया है।
माता पिता सहित परिवार का मिला साथ देश के सबसे प्रतिष्ठित परीक्षा यूपीएससी में सफलता पाने के बाद जिज्ञासा ने बताया कि इस सफर में उन्हें अपने माता पिता सहित पूरे परिवारजनों का भरपूर साथ मिला है। अपनी कड़ी मेहनत और जूनुन के बाद परिजनों के सहयोग ने मुझे कुछ अलग करने के लिये प्रेरित किया। जिज्ञासा के पिता धनेश्वर सहारे स्टेट बैंक के स्थानीय शाखा में अधिकारी वर्ग में हैं वहीं मां महेश्वरी सहारे डाक विभाग में कार्यरत हैं।
बस्तर में प्रतिभाओं की कमी नहीं यूपीएससी क्लीयर करने के बाद जिज्ञासा का कहना है कि बस्तर में प्रतिभाओं की कमी नहीं है। कमी है तो सिर्फ माहौल और अच्छे संसाधन की। यहां की शिक्षा में प्राथमिक स्तर से ही सुधार करने की जरूरत है। यहां के युवाओं को अच्छी गाइडेंस और माहौल सहित अच्छे कोचिंग की सुविधा मिले तो यहां से कई आईएएस अफसर निकल सकते हैं।
प्रारंभिक शिक्षा बस्तर में बस्तर में पली बढ़ी जिज्ञासा का प्राथमिक से हाईस्कूल तक की शिक्षा शहर के निर्मल स्कूल में हुआ। बचपन से ही मेधावी रही जिज्ञासा ने दसवीं की पढ़ाई अच्छे अंकों में पास कर 11वीं व 12 वीं की परीक्षा विशाखापट्नम में पूरी की। इसके बाद इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर उसने नागपुर एनआईटी से ट्रिपल ई में इंजीनियरिंग कर एक बड़े ग्रुप से साथ जुड़कर असिस्टेंट मैंनेजर के पद पर कार्य शुरू किया।
10 से 12 घंटे सिर्फ पढ़ाई बचपन से मेधावी रही जिज्ञासा ने प्रारंभिक पढ़ाई करते समय कोई मंजिल नहीं चुन पायी थी। एक सामान्य सी पढ़ाई करते हुए इंजीनियरिंग की परीक्षा पास की और 15 लाख की पैकेज में जॉब शुरू की। बाद में उसने अपनी अलग पहचान और कुछ नया करने की जुनून ने यूपीएससी की राह चुनी और 10 से 12 घंटे कड़ी मेहनत करते हुए पढ़ाई कर यह मुकाम हासिल की है।
लड़कियां अपने आप को कमतर न समझें जिज्ञासा ने बस्तर की युवतियों को संदेश देते हुए कहा कि लडकियां किसी असफलता से डरें नहीं बल्कि साहस के साथ लड़ते हुए आगे बढ़े। वह अपने भविष्य को सवांरने की स्वयं जिम्मेदारी लें और अधिक से अधिक पढ़ाई में ध्यान लगावें। एक मंजिल चुनकर जहां चाह वहां राह की तर्ज पर मेहनत करें। सफलता से सबक लेकर फिर से प्रयास करें सफलता कदमों में होगी।
इंजीनियरिंग की नौकरी करते हुए उनके मन में कुछ अलग मुकाम हासिल करने की ललक में उसने नौकरी छोड़ यूपीएससी करने की चाह में राह बदल गये और समाजशास्त्र का विषय चुनते हुए उसने दिल्ली में कोचिंग करते हुए अपने लक्ष्य पर जुट गई। शुरूआत के दो प्रयास में उसे मिली असफलता से अपने हौसलों को कम नहीं होने दी और तीसरे प्रयास में उसने ऑल इंडिया रैकिंग में 681 वीं रैंक हासिल कर अपने सपनों को साकार करने में सफलता पायी है।