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यात्रियों की सुरक्षा के लिए व क्राइम को रोकने बस व टैक्सियों में जीपीएस डिवाइस व पैनिक बटन लगाना अनिवार्य है। ताकि पैनिक बटन की मदद से परिवहन विभाग और पुलिस कंट्रोल रूम को सूचना दिया जा सके। यदि कोई यात्री अप्रिय स्थिति में इस बटन को दबाता है, तो इसकी सूचना परिवहन विभाग और पुलिस को हो जाएगी। वे यात्री की सुरक्षा के लिए जीपीएस से टैक्सी को टे्रक करके वहां पहुंच जाएंगे।
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इसके अलावा बस, ट्रक, टैक्सी किस रूट पर चल रही है इसकी पल-पल की जानकारी भी मिलती रहेगी। लेकिन केन्द्रीय परिवहन मंत्रालय के निर्देश की अवहलेना आरटीओ विभाग के अधिकारी कर रहे हैं। जिले के अधिकांश बस, ट्रक व टैक्सियां बगैर जीपीएस सिस्टम और पैनिक बटन के चल रही हैं, यहां तक इन वाहनों को फिटनेस सर्टिफिकेट जारी किया जा रहा है। जबकि जीपीएस डिवाइस बस और टैक्सियों में लगाने के सख्त निर्देश हैं।
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दिसंबर में जारी हो गया था नियमइस नियम को अमल में लाने के लिए जिलों व क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय को 31 दिसंबर 2018 तक का समय दिया गया था। पर बस संचालकों द्वारा इसके लेकर कुछ समस्या का हवाला देेते हुए कुछ दिनों की छूट देने की मांग की गई। इसके तहत जनवरी तक छूट दी गई। इसके बाद 1 अप्रैल से इसे लागू कर दिया गया।
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यह है नियमट्रकों-बसों में जीपीएस और पैनिक बटन नहीं होने पर उसका फिटनेस सर्टिफिकेट जारी नहीं होगा। यह सिस्टम वाहन मालिक खुद लगाएंगे। इस व्यवस्था के तहत विभाग वाहनों की निगरानी करेगा। परिवहन विभाग में परमिट मिलने के बाद बस व अन्य छोटी बड़ी यात्री गाडिय़ां सडक़ पर दौड़ती रहेगी। लेकिन इनका परिवहन नियम अनुसार हो रहा है, या नहीं उस में सफर करने वाले यात्री विशेषकर महिला यात्री सुरक्षित है या नहीं इसे लेकर विभाग में मॉनिटरिग की अब तक कोई पुख्ता इंतजाम नहीं था। अब ट्रकों में नेशनल परमिट के लिए जीपीएस लगाना जरूरी हो गया है। ट्रक सहित इस तरह के वाहनों को नेशनल परमिट देने के लिए नई शर्ते जोड़ी गई हैं। इसके तहत नेशनल परमिट के लिए वाहन को अनिवार्य रूप से जीपीएस लगाना होगा।
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जिले में परिहवन कर रही सार्वजनिक वाहनों में जीपीएस व पैनिक बटन लगा है या नहीं इसकी जानकारी फिलहाल उपलब्ध नहीं है।
एसएस कौशल, आरटीओ विभाग Click & Read More Chhattisgarh News.