झारखंड में बोड़ा को रुगड़ा कहा जाता है। वहां इससे होड़ोपैथी (आदिवासी चिकित्सा पद्धति) से दवा तैयार की जाती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार झारखंड की 70 प्रतिशत आदिवासी आबादी इस चिकिम्त्सा पद्धति से जुड़ी हुई है। बस्तर के आदिवासी भी इसके औषधीय गुण को जानते हैं और वे इसका उपयोग औषधी के रूप में करते हैं।
कहीं मुजफ्फरपुर न बन जाए छत्तीसगढ़ का बस्तर यहां कहा जाता है कि कुपोषित बच्चे (Malnourished children) को बोड़ा उबालकर पिलाने से वह स्वस्थ हो जाता है। अन्य राज्यों में भारी मांग, बढ़ रही कीमत बोड़ा सब्जी का स्वाद जिसने भी एक बार चखा, वह इसका दीवाना हो जाता है। इसकी मांग साल दर साल बस्तर समेत यहां से लगे सीमावर्ती राज्यों में बढ़ती जा रही है।
बस्तर से आंध्रप्रदेश, तेलंगाना और ओडिशा में बोड़ा की सप्लाई की जा रही है। राजधानी रायपुर में भी इसकी भारी डिमांड है। फिलहाल इसका बाजार भाव 3 हजार रुपए किलो तक है। इसे देश की सबसे महंगी सब्जी कहा जाता है। इसकी मांग ज्यादा और सप्लाई कम है। इस वजह से भी दाम बढ़े हैं। बस्तर में साल वृक्ष भी पिछले 10 साल में बहुत कम हुए हैं।
बोड़ा में हैं ये गुणकारी तत्व
बस्तर के वैज्ञानिक धर्मपाल केरकेट्टा बताते हैं कि यह फंगस खाद्य के तौर पर उपयोग में लाया जाता है। सैल्यूलोज व कार्बोहाइड्रेट से भरपूर होने की वजह से शुगर व हाई ब्लड प्रेशर (High Blood Pressure) वालों के लिए यह रामबाण है। इसे खाने से उन्हें कोई नुकसान नहीं होता। आमतौर पर यह बटन मशरूम की तरह दिखता है।
मशरूम जहां जमीन के ऊपर होता है वहीं यह आलू की तरह जमीन के नीचे पैदा होता है। पेट की समस्याओं के लिए होड़ोपैथी में रुगड़ा से दवाई बनाई जाती है। प्रोटीन का यह बड़ा स्रोत है। फाइबर भी इसमें खूब होता है। कैलोरी काफी कम होती है, जिससे हेल्थ कॉन्श लोग आराम से इसे खा सकते हैं।
साल वृक्ष के नीचे से ऐसेे निकलता है बोड़ा
बस्तर (Bastar) को साल वृक्षों का द्वीप कहा जाता है और साल वृक्ष के नीचे ही काले और सफेद रंग का बोड़ा निकलता है। बस्तर में मानसून के आगमन से पहले होने वाली बारिश में बोड़ा साल वृक्ष के नीचे से निकाला जाता है। कहा जाता है कि जितना बादल गरजता है उतना ही बोड़ा निकलता है। हल्की बारिश में इसकी आवक बस्तर के बाजारों में ज्यादा होती है।
जहां जमीन थोड़ी ऊंची और मुलायम दिखती है, वहां
बस्तर के आदिवासी (Bastar Tribal) जमीन खोदकर इसे (Boda mushroom) निकालते हैं। मिटटी के नीचे होने के कारण इसमें काफी मिट्टी लगी होती है। इसे उपयोग में लाने से पहले इसकी काफी सफाई की जाती है ताकि मिट्टी की वजह से सब्जी का जायका ना बिगड़े। चार से पांच बार पानी से धोकर ही इसे उपयोग में लाया जाता है।