बस्तर में है दो गर्भगृह वाला इकलौता शिवालय, यहां नंदीराज के कानों में मांगी गई हर मुराद होती है पूरी
मंदिरों में भी तैयारियां जोरों से
बृहस्पति और चंद्रमा के ग्रहों से प्रभावित लोगों के लिए देवी की पूजा विशेष फलदायी रहेगी। नौ दिनों में मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूप की पूजा की जाएगी। इस बार किसी भी तिथि की क्षय नहीं है। दसवें दिन विजयादशमी होगी। इधर नवरात्र को लेकर शहर में तैयारियां जोरों पर हैं। विशाल पूजा पंडालों को अंतिम रूप दिया जा रहा है। वहीं देवी मंदिरों में भी तैयारियां जोरों से चल रही हैं।
कलश स्थापना का खास मुहूर्त
सुबह 11 से 12 बजे कलश स्थापना का खास मुहूर्त है। रविवार को सुबह 11.36 से 12.24 के बीच अभिजीत मुहूर्त है। दोपहर 11.45 तक वृश्चिक लग्न में गुरु ग्रह की उत्तम स्थिति है। इस तरह सुबह 11 से 12 बजे के बीच कलश स्थापना के लिए उत्तम समय है।
इस बार गज पर सवार होकर आएगी माता रानी
धार्मिक मान्यता के अनुसार मां दुर्गा नवरात्रि में अपने मायके यानि की धरती पर आती हैं। उनका आगमन हर साल अलग-अलग वाहनों पर होता है और विदाई के वक्त मां का वाहन अलग हो जाता है। इस नवरात्रि माता रानी गज यानि हाथी पर सवार हो कर आएंगी। माता का वाहन हाथी होगा। दुर्गा जी के इस वाहन का मतलब है कि इस वर्ष वर्षा अच्छी होगी। इससे कृषि क्षेत्र में उन्नति होगी। जिससे किसानों को लाभ होगा। वहीं उनका प्रस्थान घोड़े पर होगा।