पॉलिटेक्निक कॉलेज के बगल में बने मॉडल कॉलेज के नये कैंपस में लटका हुआ ताला।
जगदलपुर . शहर में मॉडल डिग्री कॉलेज का नया भवन दो साल पहले बनकर तैयार हो गया था लेकिन नए भवन में आज तक क्लास लगनी शुरू नहीं हुई है। मॉडल कॉलेज के नाम पर आ रहे फंड का उपयोग पीजी कॉलेज में किया जा रहा है। मॉडल कॉलेज के नाम पर बिल तैयार कर काम पीजी कॉलेज में किया जा
रहा है। इसके अलावा मॉडल कॉलेज के लिए पीएससी के माध्यम से सहायक प्राध्यापकों की भी नियुक्ति की गई है। इन प्राध्यापकों को मॉडल कॉलेज के बच्चों को पढ़ाना है लेकिन वे पीजी कॉलेज में अपनी सेवा दे रहे हैं। कॉलेज की ङ्क्षप्रसिपल वी विजय लक्ष्मी की तानाशाही के चलते मॉडल कॉलेज का ताला नहीं खुल पा रहा है। दरअसल मॉडल कॉलेज जब जगदलपुर के लिए स्वीकृ़त किया गया तो उसे पीजी कॉलेज के अधीन रखा गया था। यह स्थिति तब तक के लिए थी जब तक कॉलेज के नए भवन का निर्माण नहीं हो जाता है। अब जबकि पिछले दो साल से भवन बन चुका है उसके बावजूद नए भवन में कॉलेज शुरू नहीं किया जा रहा है। मॉडल कॉलेज के नाम पर खुलकर आर्थिक अनियमितता हो रही है। इसे लेकर शहर के कुछ जागरूक नागरिकों ने ङ्क्षप्रसिपल से आरटीआई के तहत सवाल भी किया लेकिन ङ्क्षप्रसिपल ने इसका जवाब नहीं दिया। ङ्क्षप्रसिपल से यह पूछा गया था कि हर साल कॉलेेज के लिए जो लाखों का आवंटन हो रहा है, उसे किस रूप में खर्च किया गया है। ङ्क्षप्रसिपल के पास इसका कोई जवाब नहीं था। कॉलेज के ही सूत्र बताते हैं कि मॉडल कॉलेज का जो फंड आ रहा है, उसे ङ्क्षप्रसिपल पीजी कॉलेज के कामों में खर्च कर रही है। मॉडल कॉलेज की बिङ्क्षल्डग पूरी तरह से तैयार हो चुकी है लेकिन ङ्क्षप्रसिपल ने उसमें अब तक बिजली का कनेक्शन तक नहीं लगवाया है। इससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि वे कॉलेज खुलवाने को लेकर कितनी गंभीर हैं। कहा जा रहा है कि मॉडल कॉलेज के फंड को ङ्क्षप्रसिपल अपने हाथ से जाने नहीं देना चाहती हैं इसलिए वे नए भवन में शिङ्क्षफ्टग नहीं करवा रही हैं। छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ : फिलहाल मॉडल कॉलेज का जो सेटअप है वह पीजी कॉलेज से काम कर रहा है। मॉडल कॉलेज के लिपिक से लेकर प्राध्यापक तक यहीं कार्यरत है। मॉडल कॉलेज के अंतर्गत यहां पर बीएससी और बीए की क्लास भी लग रही है। अगर कॉलेज नए कैंपस में शिफ्ट हो जाता है तो नए कोर्स में छात्रों को दााखिला मिल पाएगा लेकिन ङ्क्षप्रसिपल की जिद्द की वजह से मॉडल कॉलेज का ताला नहीं खुल पा रहा है। वे सीधे तौर पर छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रही हैं।
सरकार ने बताया कि जगदलपुर को मिले ७० लाख 82 हजार
विधानसभा में मॉडल कॉलेज को पिछले तीन साल में जारी किए गए फंड को लेकर बस्तर विधायक लखेश्वर बघेल ने एक सवाल लगाया था। तब यह जानकारी सामने आई थी कि साल २०१९-२० में कॉलेज के लिए २८ लाख ६० हजार ८४० रुपए जारी किए गए। इसमें से ४ लाख २४ हजार ८३५ रुपए खर्च किए गए। इसी तरह २०२०-२१ में १८ लाख ५०० रुपए जारी हुए और १८ लाख ४ हजार १३५ रुपए खर्च हुए। इसी तरह २०२१-२२ में २४ लाख २२ हजार रुपए जारी हुए और १२ लाख २९ हजार १९ रुपए खर्च किए गए। यह सभी खर्च मॉडल कॉलेज के स्थापना के रूप में दिखाए गए हैं। यानी वहां पर लैब की स्थापना, कंप्यूटर की खरीदी व अन्य कार्य लेकिन कॉलेज के सूत्र बताते हैं कि मॉडल कॉलेज के नए कैंपस में अब तक कोई भी सामान नहीं पहुंचा है। यानी मॉडल कॉलेज के नाम पर खरीदी कर सामान का उपयोग पीजी कॉलेज में हो रहा है।
खरीदी नियमों का भी किया गया उल्लंघन
पीजी कॉलेज में मॉडल कॉलेज के मद से जिन-जिन सामानों की खरीदी की गई है, उसमें व्यापक भ्रष्टाचार ह़ुआ है। सूत्र बताते हैं कि खरीदी नियमों का उल्लंघन कर स्थानीय एजेंसी से सामान की खरीदी की गई है। जबकि एक तय कीमत से अधिक की खरीदी शासन के जेम्स पोर्टल से की जानी चाहिए लेकिन ऐसा नहीं किया गया है। कॉलेज के लिए अब तक करीब एक करोड़ रुपए जारी हुए हैं और इसमें से लगभग ४० फीसदी राशि का उपयोग किया गया है। खर्च में भारी अनियमितता बरती गई है जिसकी जांच होनी चाहिए।
लखेश्वर बघेल विस में उठा चुके हैं मुद्दा
बस्तर में कॉलेजों की पहले ही कमी है। पत्रिका ने कॉलेज खोले जाने को लेकर एक अभियान भी चलाया था। इसके बाद बस्तर विधायक लखेश्वर बघेल ने यह मुद्दा विधानसभा में भी उठाया था। उन्होंने इसी दौरान उच्च शिक्षा विभाग से कॉलेज के लिए अब तक जारी किए गए फंड और खर्च की जानकारी मांगी थी। लखेश्वर लगातार कॉलेज खोलने को अलग-अलग स्तर पर प्रयास करते रहे हैं। उनका कहना है कि शहर में एक और नए कॉलेज के शुरू होने से छात्रों को पढ़ाई में सुविधा होगी।