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लोहे के चादर से जोड़ी जाती हैं
झारउमरगांव व बेड़ाउमरगांव के डेढ़- दो सौ ग्रामीण रथ निर्माण की जिम्मेदारी निभाते दस दिनों में पारंपरिक औजारों से विशाल रथ तैयार करते हैं। इसमें लगने वाले कील और लोहे की पट्टियां भी पारंपरिक रुप से स्थानीय लोहार सीरासार भवन में तैयार करता है। ये लोहार टेकामेटा गांव के होते हैं । इन लोहारो को लोहे की सिल्ली दी जाती हैं। वे अपनी जरूरत के हिसाब से आवश्यक उपकरण तैयार करते हैं। काष्ठ के बने पहिए जो टुकड़ों में होता हैं, इन्हें लोहे के चादर से जोड़ी जाती हैं। और पहिए के केन्द्र जहां एक्सिल फीट होता हैं वहा भी लोहे का आवरण लगा दिया जाता हैं ,जिससे रथ सुगमता से चल सके। अपने काम में दक्ष ये लोहार सिर्फ दो दिनो में पूरा करते हैं। इस वर्ष चार चक्के के फूल रथ का निर्माण हो रहा है।