CG News: धुड़मारास गांव राजस्व रिकॉर्ड से बाहर
इसकी वजह से गांव तक सरकारी सुविधाएं भी नहीं पहुंच पाई हैं। गांव गूगल मैप तक में नहीं दिखता। यहां रहने वाले 250 लोगों के घरों में आज भी सिंगल फेस बिजली का ही कनेक्शन पहुंच पाया है। कभी यह गांव कोटमसर पंचायत का आश्रित गांव हुआ करता था लेकिन 1982 में जब
कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान का परिसीमन हुआ तो गांव राजस्व रिकॉर्ड से बाहर हो गया।
गांव में अभी जो सुविधाएं दिखती भी हैं तो वह हाल के वर्षों में विकसित की गई हैं। कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान प्रबंधन ने गांव में सीसी रोड समेत अन्य काम करवाए ताकि धुड़मारास तक आने वाले पर्यटकों को असुविधा ना हो।
टूरिज्म कॉरिडोर बनने से बनेगी बात
रायपुर, संचालक हेरिटेज वॉक, शिवम त्रिवेदी ने पत्रिका को जानकारी दी कि बस्तर में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सरकार को पर्यटन कॉरिडोर पर जल्द काम शुरू करना चाहिए। बस्तर में कई ऐसे स्थल है जो आज भी पर्यटकों की पहुंच से दूर हैं। यहां पर अधिकांश पर्यटक सिर्फ चित्रकोट और कांगेर घाटी के अलावा दंतेश्वरी मंदिर से लौट जाते हैं। पर्यटन कॉरीडोर बनने से कई स्थलों तक पहुंचा जा सकेगा।
मोबाइल नेटवर्क स्थापित करने की मांग
होम स्टे धुरवा डेरा, संचालक मानसिंह बघेल ने बताया कि सुविधाएं बढ़ाने के नाम पर गांव की प्राकृतिक खूबसूरती खत्म नहीं की जानी चाहिए। बेसिक इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलप किए जाने चाहिए। जिसमें वनों को बिना छेड़े आवश्यक बुनियादी सुविधाएं जैसे बिजली, पानी, स्वच्छता, शिक्षा और स्वास्थ्य का समावेश हो। पर्यटन ग्राम के लिए प्रशासन संकेतक बोर्ड लगाए। इस गांव में आज भी किसी भी मोबाइल कंपनी का टावर नहीं लग पाया है। समीप के गांव पेदावाड़ में लगे मोबाइल कंपनी की नेटवर्क से कुछ स्थानों में नेटवर्क मिल पाता है। मोबाइल टावर के आभाव में यहां के लोग दुनिया के कवरेज क्षेत्र से आज भी बाहर हैं। वे यहां पर मोबाइल नेटवर्क स्थापित करने की मांग कर रहे हैं।
अखरती है बिजली की कमी
इस पूरे इलाके में प्रदेश सरकार द्वारा ग्रामीण आदिवासियों को विद्युत के नाम पर वन फेस बिजली की आपूर्ति की जा रही है। ऐसे में इस इलाके में रहने वाले ग्रामीणों को लो वोल्टेज की समस्या से जुझना पड़ता है। इसके अलावा यहां आने वाले अधिकांश सैलानी जो होम स्टे में ठहरते हैं उन्हें भी लो वोल्टेज से कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। मोबाइल नेटवर्क के लिए करना पड़ता है संघर्ष
CG News: पहली बार राजस्थान से बस्तर घूमने आए फ्रांस के पर्यटकों से
पत्रिका ने बात की। फ्रांसिसी पर्यटक क्रीस्टीन, केथरीन, लौरेंस, एलन और जैकी ने कहा कि बस्तर साफ-सुथरी जगह है। यहां की प्राकृतिक खूबसूरती देश के बाकी स्थानों से अलग है। बस्तर के लोग बड़े खुशमिजाज हैं। दोबारा मौका मिला तो वह बस्तर फिर से आना चाहेंग। सैलानियों ने कहा कि अगर गांव को यूएन की बेस्ट विलेज की सूची में शामिल किया गया है तो हैं यहां पर सुविधाएं बढ़ाई जानी चाहिए।