प्रशासन का खौफ नहीं
रात दिन कर रहे अवैध कारोबार से यही लगता है कि बस्तर के नदी नालों में सक्रिय रेत माफियों को प्रशासन का कोई खौफ नहीं है । यहां के अवैध घाटों की प्रशासनिक अधिकारियों को जानकारी होने के बावजूद वे चुप्पी साधे हुए हैं। इससे शासन को हर महीने लाखों का नुकसान भी हो रहा है। नंदपुरा, सतलावंड, बजावंड, इच्छापुर, इन माफियाओं द्वारा दिन रात अवैध उत्खनन किया जा रहा है। नाम मात्र की कार्रवाई
शिकायत मिलने पर खनिज विभाग द्वारा गिने चुने लोगों को पकड़ कर कार्रवाई की खानापूर्ति की जाती है। यही वजह है कि इस अवैध कारोबार पर अंकुश नहीं लग पा रहा है। रेत चोरी के मामले में चालान अथवा जुर्माना के अलावा कोई सख्त सजा नहीं होने से कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है। अवैध रूप से कर रहे खनन के दौरान नदियों के अंदर आधुनिक मशीनों द्वारा रेत निकाल कर ढेर लगाया जाता है जिसे रात के अंधेरे में डंपर व टिप्पर में भरकर तस्करी किया जाता है।
रेत माफियाओं को राजनीतिक संरक्षण
रेत के अवैध कारोबार में राजनीतिक लोग सीधे जुड़े हैं। कई बार रेत के अवैध कारोबार करते पकड़े जाने पर जनप्रतिनिधियों द्वारा छोड़े जाने का दबाव बनाया जाता है। यही वजह है कि खनिज विभाग सीधे कार्रवाई करने में हिचकिचाता है। पुलिस और प्रशासन भी मौन साध लेते हैं। बस्तर के इच्छापुर, मुण्डागांव, चपका, सोनारपाल, नंदपुरा लोहंडीगुड़ा के कई इलाकों सहित बजावंड में अवैध तस्कर सक्रिय हैं।