शुरुआती दौर में की किसानों की रुचि को देखते हुए अब जिले के प्रत्येक ग्राम में ड्रोन के जरिये यूरिया छिड़काव का डेमो दिया जाएगा, ताकि नेनो यूरिया को बढ़ावा मिल सके। कृषि एवं उद्यानिकी विभाग का कहना है कि देश की दवा कंपनी इन्सेस्टीसाइड इंडिया लिमिटेड के द्वारा सोनारपाल और बकावंड के बड़े किसानों को यह डेमो दिया गया था, जिसमें यह किस तरह काम करता है, जिसमें कम मेहनत और कम समय लगता है। एग्री ड्रोन के माध्यम से नैनो यूरिया के अलावा अन्य दवाओं का छिड़काव तकनीक का प्रदर्शन किया गया।
जिसे यहां के किसानों ने पसंद किया। बस्तर में आज किसान पारंपरिक कृषि के साथ ही आधुनिक कृषि को भी अपना रहे हैं। दशक भर में कैश क्राप करने वाले किसानों की संया में बढ़ी है। कैश क्राप की फसल के लिए ड्रोन का इस्तेमाल अब बड़े शहरों की तरह बस्तर के किसान भी करने लगे हैं। इस ड्रोन से एक स्थान पर खड़े होकर 15 किलोमीटर दायरे में दवा का छिड़काव किया जा सकता है।
ड्रोन पर 40 से 100 फीसदी तक अनुदान
कृषि एवं किसान कल्याण विभाग द्वारा कीटनाकश और पोषक तत्वों के उपयोग के लिए एग्री ड्रोन का एसओपी जारी किया गया है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद संस्थान , कृषि विज्ञान केन्द्र और राज्य कृषि विश्वविद्यालय को किसान के खेतों पर इसके प्रदर्शन के लिए आकस्मिक व्यय के साथ-साथ ड्रोन की खरीद के लिए लागत के 100 प्रतिशत की दर से वित्तीय सहायता भी प्रदान की जाती है। इसके अलावा किसान उत्पाक संगठनों को ड्रोन के लिए 75 फीसदी अनुदान, किसान सहकारी समिति, किसान उत्पादक संगठनों एवं ग्रामीण उद्यमियों को ड्रोन के लिए 40 फीसदी की दर से या 4 लाख तक की वित्तीय सहायता राशि प्रदान की जाती है। सीएचसी स्थापित करने व कृषि स्नातक को ड्रोन के लिए 50 फीसदी वित्तीय सहायता राशि का प्रावधान है।
यह है ड्रोन के इस्तेमाल के फायदे
ड्रो न तकनीक भविष्य की खेती का एक ऐसा चेहरा है, जिससे खेती में किसानों की मेहनत और लागत दोनों कम हो जाएगी। ड्रोन तकनीक के मध्यम से महज 10 मिनट में 20 लीटर पानी में दवा मिलाकर एक एकड़ खेत में दवा या कीटनाशक का छिड़काव कर सकते हैं, जबकि हस्त चलित स्प्रे पंप से एक एकड़ में छिड़काव के लिए 400 से 500 लीटर पानी की जरुरत होती है और इसके अनुपात में दवा और कीटनाशक भी अधिक लगता है, जो किसान को काफी महंगा पड़ता है। साथ ही बड़े क्षेत्रफल में छिड़ाव करने के लिए मजदूर दिन भर काम करते हैं।