130 पीडि़त मजदूरी दर पर कर रहे नौकरी नौकरी के प्रावधानों के बावजूद अफसरों ने बस्तर में 38, दंतेवाड़ा 38, कांकेर 1, बीजापुर 2, कोण्डागांव 24 तथा नारायणपुर में 27 पीडि़त आकस्मिक निधि से कलेक्टर दर पर अस्थायी रूप से भृत्य, जलवाहक और रसोइया के पद पर नियुक्त किया गया है। जबकि इन जिलों में सैकड़ों की संख्या में तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के पद रिक्त हैं और इन पदों के विरूद्ध लगातार नियुक्तियां भी हो रही है, लेकिन इनका नियमितिकरण नहीं हो पा रहा है।
मुखबिरी का आरोप लगाकर की अधिकांश हत्याएं नक्सलियों ने अधिकांश ग्रामीणों की हत्या मुखबिरी के आरोप में की है। प्रभावित गांव में नक्सली ग्रामीणों को पुलिस एवं प्रशासन से दूर रहने की हिदायत देते हैं यदि उनकी बात नहीं मानी जाती तो नक्सली पहले धमकी देते हैं और फिर बाद में उसकी हत्या कर देते हैं।
310 पीडि़त कर रहे नौकरी का इंतजार छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के बाद बस्तर संभाग के 2908 परिवार नक्सल हिंसा का शिकार हुए हैं। जिनमें 1618 परिवारों के मुखियाओं की नक्सली हत्या कर चुके हैं। इनमें से 577 पीडि़तों को नौकरी मिल चुकी हैं। वहीं 1488 पीडि़तों को नौकरी के बजाय एक मुश्त आर्थिक सहायता प्रदान की जा चुकी है। शेष 310 पीडि़त अब भी नौकरी और मुआवजा की आस लगाए बैठे हैं। एक पीडि़त ने बताया कि हम समस्त दस्तावेज जमा कर नौकरी प्राप्त करने दफ्तरों के लगातार चक्कर काट रहे हैं, लेकिन अब तक हमारी सुनवाई नहीं हो पाई है।