आरोपी की अपील खारिज, हाईकोर्ट ने कहा…
जहां हत्या के चश्मदीद गवाह हों, वहां मकसद का महत्व नहीं होता
उसने ङ्क्षप्रसी से कहा कि तुम्हे जो करना हो कर लो। इतना कहकर उसने ङ्क्षप्रसी की पीठ पर देशी कट्टे से गोली चला दी, जिससे ङ्क्षप्रसी वहीं गिर गई। आरोपी भाग निकला। ङ्क्षप्रसी को अस्पताल ले जाया गया, लेकिन वह चल बसी। पुलिस ने जांच के बाद आरोपी को गिरफ्तार कर उसके कब्जे से देशी कट्टा बरामद किया।
मृतका के बैग से एक आवेदन भी मिला, जो उसने पुलिस अधिकारियों को आरोपी सुलभ की हरकतों की शिकायत करते हुए लिखा था। पुलिस के अनुसार मामला इकतरफा प्रेम का था। भोपाल जिला अदालत ने 6 जनवरी 2012 को आरोपी को दोषी करार देकर आजीवन कारावास से दण्डित किया था। निचली अदालत के इसी आदेश को आरोपी ने अपील के जरिए हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।
चश्मदीद गवाहों के बयान अहम
सुनवाई के दौरान आरोपी की ओर से तर्क दिया गया कि पुलिस हत्या का कोई मकसद साबित नहीं कर पाई। इस पर कोर्ट ने कहा कि यदि मामले में अपराध का सशक्त मकसद भी है, लेकिन चश्मदीद गवाह नहीं हैं तो आरोपी को सजा नहीं दी जा सकती। इसी तरह यदि चश्मदीद गवाहों के बयान स्पष्ट हैं तो अपराध का मकसद सजा की राह में नहीं आ सकता। यह कहकर कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को सही ठहराकर अपील निरस्त कर दी।