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जबलपुर

ट्रेनों के एसी कोच में चोरी-छिपे भेजे जा रहे पार्सल

खर्चा लेकर अघोषित रूप से ढोया जा रहा पार्सल, यात्रियों की सुरक्षा खतरे में

जबलपुरJun 13, 2019 / 12:17 pm

manoj Verma

west central railway

खर्चा लेकर अघोषित रूप से ढोया जा रहा पार्सल

जबलपुर। पश्चिम-मध्य रेलवे मुख्यालय के जबलपुर रेलवे स्टेशन से गुजरने वाली ट्रेनों के एसी कोच अटेंडेन्ट ‘पार्सलÓ ढोकर कमाई में जुटे हैं। ये पार्सल एसी कोच में छिपा कर रखे जा रहे हैं। रेलवे की नजर बचाकर पार्सल ले जाने वाले एसी अटेंडेन्ट यह जानने की भी कोशिश नहीं करते हैं कि पार्सल में क्या है? मौके पर बस दो सौ रुपए लेकर पार्सल कोच के अंदर कर लिया जाता है। ए.सपोज स्टिंग में यह सामने आया है कि अटेंडेन्ट ने पार्सल ले जाने का खर्चा दो रुपए मांगा और पार्सल उठाकर कोच के अंदर कर लिया। अटेंडेन्ट ने सही सलामत माल पहुंचा देने का वादा किया और ट्रेन के कोच में सवार हो गया। प्लेटफॉर्म पर एससी कोचों में अटेंडेन्ट की मनमानी को उजागर करती एक्सपोज की रिपोर्ट…।
हावड़ा जाने वाली शक्तिपुंज एक्सप्रेज में मंगलवार की रात एससी कोच अटेंडेन्ट का एक एेसा कारनामा सामने आया है, जहां प्लेटफॉर्म पर ट्रेन के पहुंचते ही एसी कोच में माल भेजने वाले मौजूद थे। ट्रेन के खड़े होते ही कोच अटेंडेन्ट से बातचीत की गई। अटेंडेन्ट का इशारा मिलते ही अन्य कोच के अटेंडेन्ट ने बातचीत की और दो रुपए लेकर प्लेटफॉर्म पर रखा हुआ पार्सल कोच के भीतर रख लिया। इधर, प्लेटफॉर्म पर अटेंडेन्ट और पार्सल भेजने वाले व्यक्ति के बीच खर्चा को लेकर लेन-देन होता रहा।
चादर रखने वाली डिक्की में पार्सल
अटेंडेन्ट ने कोच के भीतर चादर रखने वाली डिक्की के अंदर पार्सल का थैला रखा। थैला रखने के बाद डिक्की को बंद कर दिया। यह काम इतने रफ्तार में किया गया था कि इस पर किसी की नजर न पड़े। थैला रखकर अटेंडेन्ट बाहर आकर अपने साथियों के साथ खड़ा हो गया।
एेसे की गई बातचीत
प्लेटफॉर्म नंबर तीन पर रात करीब 12.30 बजे एसी कोच अटेंडेन्ट को एक पार्सल ले जाने के लिए बातचीत की गई। अटेंडेन्ट बिना कुछ कहे पार्सल ले जाने तैयार था। पार्सल ले जाने के लिए जब खर्च की बात की गई तो उसका कहना था कि हिसाब से दे देना। इस बीच पार्सल उठाकर कोच के अंदर रख लिया गया। बाहर आकर खर्च की बातचीत की गई तो वह दो रुपए मांगने लगा। इस पर मौजूद व्यक्ति ने उसे सौ रुपए दिए। सौ रुपए लेने वह राजी नहीं हुआ लिहाजा उसे दो सौ रुपए दिए गए।
ये थी बातचीत
क्यों इसी कोच में अटेंडेन्ट हो?
हां।हमारा एक पार्सल लेकर जाना था, क्या ले जाओगे?
क्यों नहीं। कितना खर्चा लोगे?
दे देना हिसाब से।
(इस बीच उसने पार्सल देखा और उसे ट्रेन रवाना होने के समय कोच में देने को कहा।)
सुनो पैसा बता दो, फिर ट्रेन जाने लगेगी तो बात नहीं हो पाएगी?
दो सौ रुपए दे दो।
दो सौ रुपए तो ज्यादा है, सौ ले लो?
(यह कहते हुए अटेंडेन्ट के हाथ में सौ रुपए पकड़ा दिए।)
नहीं इतने में काम नहीं चलता है। हम चार लोग हैं, सभी को बांटना पड़ता है।
इस बीच अटेन्डेंट के दो साथी आ गए और कहने लगे…भैया इतने में काम नहीं चलता है। हमारी कमाई तो यही है। इसके अलावा और कोई रास्ता नहीं है हमारे पास।
‘मौके पर पार्सल भेजने वाले ने दो सौ रुपए दिए और उसे फोन नंबर और स्टेशन का नाम लिखकर दिया।Ó
नसुलझे सवाल
प्लेटफॉर्म पर लगे सीसीटीवी कैमरों में यह दिखाई नहीं देता?
प्लेटफॉर्म पर मौजूद सुरक्षा अमला क्या कर रहा है?
कोच टीटीई को इसकी जानकारी नहीं है क्या?
प्लेटफॉर्म पर लगा मैटल डिटेक्टर डोर क्या कर रहा है?
बिना जांच के प्लेटफॉर्म पर लोगों का प्रवेश हो रहा?
एसी अटेंडेन्ट की यह जानकारी सुरक्षा अमले को दी जाएगी। सुरक्षा अमला इस पर नजर रखेगा ताकि अवैध रूप से भेजे जाने वाले पार्सल पर लगाम लगेगी।
प्रियंका दीक्षित, सीपीआरओ, पमरे

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