इनके पास वृहद परिसर
-800 शासकीय स्कूल भवन
-15 शासकीय कॉलेज भवन
-06 विश्वविद्यालय भवन
-90 के लगभग राज्य शासन के कार्यालय परिसर
-25 से ज्यादा केन्द्रीय शासन के कार्यालय परिसर
-04 डिफें स फै क्ट्री व उनसे सम्बद्ध अन्य इकाइयां
यहां भी व्यवस्था
-कलेक्ट्रेट व सभी तहसील कार्यालय परिसर
-निगम मुख्यालय व सभी जोन कार्यालय परिसर
यहां इंजीनियरिंग पास युवाओं ने उठाया वाटर हार्वेस्टिंग का बीड़ा
भू-जल स्तर में हो रही गिरावट को लेकर शहर के पर्यावरणविद् चिंतित हैं। बारिश का पानी सहेजने के लिए वाटर हार्वेस्टिंग की आवश्यकता महसूस की जा रही है। इसके लिए इंजीनियरिंग से स्नातक शहर के युवाओं ने वाटर हार्वेस्टिंग के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर विकसित करने और शहरवासियों को जल संवर्धन के लिए जागरूक करने का बीड़ा उठाया है। उन्होंने कहा, यदि बारिश का पानी नहीं सहेजा गया तो आने वाले वर्षों में भीषण जलसंकट का सामना करना पड़ेगा।
जबलपुर इंजीनियरिंग कॉलेज से स्नातक चंद्रशेखर पटेल, अनमोल पटेल, प्रतीक कुमार, सुनील रजक वाटर हार्वेस्टिंग के लिए ड्रॉइंग-डिजाइन तैयार कर रहे हैं। वे एक हजार वर्ग फीट और इससे बड़ी टाउनशिप के लिए भी वाटर हार्वेस्टिंग की डिजाइन तैयार कर रहे हैं, जिससे लोगों को भवन के आकार के अनुपात में जल संवर्धन के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार करने के लिए ड्रॉइंग उपलब्ध हो सके।
15 से 25 हजार रुपए का खर्च
इंजीनियर चंद्रशेखर ने बताया, एक हजार से 3 हजार वर्ग फीट में बने भवन जल संवर्धन संरचना विकसित करने में 15-25 हजार रुपए का खर्च आता है। इसके लिए गड्ढा खोदने, रेत, बजरी, पाइप और जाली की आवश्यकता होती है।
संस्थाओं के माध्यम से कर रहे प्रेरित
युवा इंजीनियरों ने कहा कि भू-गर्भीय जल के संरक्षण के लिए वे भावी इंजीनियरों के साथ ही स्कूल-कॉलेजों में जाकर छात्र-छात्राओं को भी इसके लिए जागरूक कर रहे हैं। शिक्षकों से भी अपने घरों में जल संवर्धन संरचना विकसित करने की अपील कर रहे हैं, जिससे बारिश का पानी व्यर्थ नहीं जाने पाए।