सुधारना है तो वहीं प्रदेश में ऐसे 1000 स्कूलों का चयन किया गया है जिसमें जबलपुर संभाग से 140 स्कूलों को चिन्हित किया गया है। इसमें जबलपुर जिले के 25 स्कूलों भी शामिल हैं। ये सभी वह बड़े स्कूल हैं जिनमें छात्र संख्या 500 से अधिक है। इसी योजना के तहत ही सीबीएसई पैटर्न से जुड़े स्कूलों की शिक्षण व्यवस्था को जांचने, परखने वहीं स्कूलों में कमियों की रिपोर्ट विभाग द्वारा तैयार करनी शुरू कर दी गई है ताकि इस पायलट प्रोजेक्ट पर तेजी से काम किया जा सके।
शिक्षक पहले हो चुके ट्रेंड
विदित हो कि एनसीईआरटी सिलेबस और पढ़ाने के तरीकों को लेकर पिछले साल प्रदेश भर से शिक्षकों की ट्रेनिंग दी जा चुकी है। नवीं एवं 11वीं के विज्ञान एवं अंग्रेजी समूह के शिक्षकों को राज्यस्तर पर प्रशिक्षित किया गया था। कुछ कक्षाओं में एनसीईआरटी की किताबों को भी लागू किया जा चुका है। इसके बाद विभाग अब पूरी तरह सीबीएसई पैर्टन में ढालने की कवायद में जुट गया है।
वर्जन
इस तरह से होगा काम
-एक साल में कमियों को किया जाएगा दूर
-शिक्षकों को दिल्ली स्तर पर दी जाएगी ट्रेनिंग
-अपग्रेड स्कूलों में सीबीएसई पाठयक्रम होगा लागू
-चयनित स्कूलों के लिए अलग से होगा बजट
-पढ़ाने के लिए अच्छे शिक्षक होंगे डिप्यूट
फैक्ट फाइल
-1000 स्कूल प्रदेश मे
-140 स्कूल जबलपुर संभाग में
-2800 शिक्षक पदस्थ
-70 हजार छात्र अध्ययनरत
-01 साल मिलेगा समय
-स्कूलों में सीबीएसई पाठयक्रम लागू करने पायलट प्रोजेक्ट पर काम किया जा रहा है। केंद्रीय विद्यालय की तर्ज पर इन स्कूलों में पढ़ाई शुरू कराने कवायद की जा रही है।
-अजय दुबे, एडीपीसी शिक्षा
-शिक्षण गुणवत्ता बढ़ाने हम एक नए कान्सेप्ट पर काम कर रहे हैं। पाठ्क्रम में तब्दीली करने के पूर्व हम सभी परिस्थितियों का आंकलन करा रहे हैं।
-राजेश तिवारी, जेडी एजुकेशन
स्कूल के स्टाफ द्वारा कुछ सीबीएसई स्कूलों की शिक्षण व्यवस्था का आंकलन किया गया है। नई व्यवस्था लागू होने से सरकारी स्कूलों के प्रति छात्रों का रुझान भी बढ़ेगा।
-रामकुमार श्रीवास्तव, प्राचार्य कन्या करौंदीग्राम रांझी