Superspeciality hospital : व्हील चेयर-स्ट्रेचर की कमी, उस पर अपने ही धकेलने को मजबूर
Superspeciality hospital : मेडिकल अस्पताल में मरीजों को स्ट्रेचर और व्हील चेयर मिलना मुश्किल है। मिल भी जाए तो उन्हें घसीटकर मरीजों के परिजन का दम फूल जाता है।
Superspeciality hospital : मेडिकल अस्पताल में मरीजों को स्ट्रेचर और व्हील चेयर मिलना मुश्किल है। मिल भी जाए तो उन्हें घसीटकर मरीजों के परिजन का दम फूल जाता है। दरअसल मेडिकल से लेकर सुपरस्पेशलिटी अस्पताल, न्यूरो सर्जरी एक्सीलेंस अस्पताल में वार्ड बाय की कमी है। अस्पताल प्रबंधन 4 साल से भर्ती की मांग कर रहा है लेकिन अब तक उनकी संया नहीं बढ़ी।
Superspeciality hospital : सुपरस्पेशलिटी और न्यूरो सर्जरी एक्सीलेंस अस्पताल तक नहीं मिलते वार्ड बॉय
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ओपीडी में मरीज की जांच के बाद उसे वार्ड में शिट करने, वार्ड बदलने या फिर जांच या सर्जरी के लिए एक से दूसरी जगह ले जाने में परिजन को परेशानी का सामना करना पड़ता है। मरीजों का बड़ा दबाव झेलने वाले इस अस्पताल में स्ट्रेचर व व्हील चेयर की भी ठीक ढंग से देखभाल नहीं होती है। सबसे ज्यादा परेशानी तब होती है जब मेडिकल अस्पताल से सुपरस्पेशलिटी अस्पताल या न्यूरो सर्जरी अस्पताल में मरीज को शिट करना होता है। कई बार मरीज के साथ कोई बच्चा या बुजुर्ग होते हैं।
medical college hospitalSuperspeciality hospital : अस्पताल में नियमित वार्ड बाय नहीं हैं, आउटसोर्स पर कुछ वार्ड बाय की व्यवस्था की गई है। लेकिन आवश्यकता के अनुपात में उनकी संया कम है। अस्पताल में स्टाफ की कमी दूर करने लगातार मांग की जा रही है।
डॉ. अवधेश कुशवाहा, डायरेक्टर, सुपरस्पेशलिटी अस्पताल
Superspeciality hospital : वील चेयर, वर्कशॉप में जो भी तकनीकी समस्या आती है वर्कशॉप में सुधार कार्य कराया जाता है, जिनमें भी समस्या आ रही है सुधार काया जाएगा। इसके साथ ही वार्ड ब्वॉय व अन्य 400 कर्मचारियों की नियुक्ति के लिए प्रदेश शासन से मांग की है।
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