Every year, women will prepare one million saplings in their own nursery … so now we will teach horticulture
जबलपुर। जबलपुर में उगाए गए दुर्लभ प्रजाति के पौधों का इस्तेमाल दिल्ली का पर्यावरण सुधारने में किया जा रहा है। देश की राजधानी में प्रदूषण का स्तर बढ़ा तो शहर के बीच छह जैव विविधता पार्क बनाए जा रहे हैं। इनमें से यमुना बायोडायवर्सिटी पार्क नई दिल्ली में राज्य वन अनुसंधान संस्थान के पौधे रोपे गए हैं। यह पार्क 457 एकड़ में बनाया गया है। संस्थान ने 14 प्रजातियों के 10 हजार पौधे दिल्ली भेजे हैं। जबकि, दूसरी बार पौधे भेजने की तैयारी है।
राज्य वन अनुसंधान संस्थान के जैव विविधता एवं औषधीय पौधे शाखा ने वर्ष 2010 में आइयूसीएन की रेड लिस्ट की दुर्लभ/संकट ग्रस्त प्रजातियों की नर्सरी तकनीकी ईजाद की है। वन अनुसंधान एवं विस्तार शाखा के प्रोजेक्ट के अंतगर्त 44 ऐसी प्रजातियों को उगाया गया जो जलवायु असंतुलन के दौर में जंगलों में प्राकृतिक रूप से पहले की तरह नहीं उग रही हैं। व्यापार की दृष्टि से उपयोगी नहीं होने के कारण निजी नर्सरियों मेें ये पौघे प्राप्त नहीं होते हैं। जबकि, वन विभाग की नर्सरियों में इन पौधों की नर्सरी तकनीकी का प्रशिक्षण नहीं हुआ है। ऐसे दौर में दिल्ली सहित मप्र के प्रमुख वनमंडलों में जबलपुर के पौधे रोपे जा रहे हैं। इस सत्र में जैव विविधता नर्सरी में 2.69 लाख पौधे तैयार हैं, जिन्हें जबलपुर, भोपाल, रीवा, सिवनी, इंदौर वन वृत्त में भेजा जाएगा। सर्वाधिक 2.55 लाख पौधे जबलपुर वृत्त में लगाए जाएंगे।
इन प्रजातियों की है नर्सरी
जैव विविधता एवं औषधीय पौधे शाखा के सीनियर रिसर्च ऑफिसर डॉ. उदय होमकर ने बताया, दुर्लभ प्रजातियों के पेड़ों के बीज कम मिल रहे हैं और बहुत मुश्किल से बीज में अंकुरण होता है। आइयूसीन की रेड लिस्ट में नौ कटेगरी हैं। सभी कटेगरी के 44 प्रजातियों के पौधे तैयार हैं। इनमें प्रमुख रूप से कुचला, नीर्मली, कल्ला, गुग्गल, लाल चित्रक, श्योनाक, दारूहल्दी, कुल्लू, अंतमूल, रीठा, मेडसिंघी, बीजा, गरूड़ फल, अंजन, पाढर, मेहगिनी, बायबिडंग, भिलवा, बड़हल, देव सिंघाड़ी, हरजोड़ व मौलि श्री प्रजाति हैं।