जबलपुर

संत निरंकारी मिशन की ये सच्चाई, जिसे जानकार आप हो जाएंगे हैरान!

संत निरंकारी मिशन की ये सच्चाई, जिसे जानकार आप हो जाएंगे हैरान!

जबलपुरFeb 13, 2019 / 02:50 pm

Lalit kostha

संत निरंकारी मिशन की ये सच्चाई, जिसे जानकार आप हो जाएंगे हैरान!

जबलपुर. संस्कारधानी में 15 फरवरी को निरंकारी मिशन की प्रमुख सतगुरु माता सुदीक्षा सविंदर हरदेव आएंगी। इस मौके पर शहर में मानवता का संगम होगा। भेड़ाघाट स्थित समागम स्थल पर कार्यक्रम की तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। इस आयोजन में मप्र के 50 से अधिक शहरों के लोग शामिल होंगे।

news facts- ब्रह्मज्ञान व विश्व बंधुत्व के भाव का व्याख्यान करेंगी सद्गुरु माता

भेड़ाघाट के लम्हेटारोड स्थित निरंकारी मिशन की भवन भूमि पर संत समागम होगा। 15 फरवरी शाम पांच से आठ बजे तक मुख्य कार्यक्रम होगा। समागम स्थल व पार्किंग का क्षेत्र करीब 15 एकड़ में बनाया जा रहा है। 1000 से अधिक सेवादार तैयारियों में जुटे हैं। जबकि, समागम स्थल की कैंटीन 14 से 16 तारीख तक रहेगी। मीडिया प्रभारी किशोरी दीदी व सोहन आहुजा ने बताया, सतगुरु माता अपने पावन वचनों से ब्रह्मज्ञान व विश्व बंधुत्व के भाव का व्याख्यान करेंगी।

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बाबा अवतार सिंह, बाबा गुरुबचन सिंह, बाबा हरदेव सिंह
1943 में बाबा बूटासिंह के ब्रह्मलीन होने के बाद 20 वर्ष बाबा अवतार सिंह, 17 वर्ष बाबा गुरबचन सिंह तथा 36 वर्ष बाबा हरदेव सिंह जी ने निरंकारी मिशन की मुहिम को विश्वभर में फैलाया।

माता सविन्दर हरदेव
बाबा हरदेव सिंह जी के ब्रह्मलीन होने के बाद 18 मई, 2016 से सत्गुरु माता सविन्दर हरदेव जी के नेतृत्व में निरंकारी मिशन के ब्रह्मज्ञान द्वारा सत्य, प्रेम, शांति तथा एकत्व के संदेश को जन-जन तक पहुंचाने का उद्घोष हुआ। सतगुरु माता का सानिध्य मिलते ही निरंकारी मिशन की लगभग 3 हजार शाखाओं के सभी संत निरंकारी सत्संग भवन में नियमित सत्संग निरंतर चल रहे हैं, जहां लोगों की आध्यात्मिक जिज्ञासा का समाधान ब्रह्मज्ञान द्वारा किया जा रहा है। वर्तमान में बाबा हरदेव सिंह जी और माता सविन्दर हरदेव की पुत्री सुदीक्षा सविंदर हरदेव प्रमुख बनी हैं और मिशन का संचालन कर रही हैं।

बच्चों को संस्कार
निरंकारी मिशन बच्चों को संस्कारवान बनाने की दिशा में भी महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। वहीं नियमित महिला सत्संग में भी घर-परिवार को सुखमय बनाने की सीख दी जा रही हैं।

हर भक्त है प्रचारक
सत्गुरू से ब्रह्मज्ञान प्राप्त करने के बाद हर भक्त निरंकारी मिशन का स्वत: ही प्रचार करने लगता है , ऐसा करने के पीछे कोई आर्थिक लाभ कमाना नहीं, बल्कि आत्म संतुष्टि पाना है। भक्त मानते हैं कि ब्रह्मज्ञान के बाद जिन भ्रमों से उन्हें मुक्ति मिली, अज्ञानता दूर हुई तथा आत्मिक आनंद प्राप्त हुआ, यह लाभ मेरे अपनों को भी मिले, इसी नेक व परोपकारी सोच के तहत हर निरंकारी भक्त एक प्रचारक के रूप में जन-जन को आध्यात्म के लिए प्रेरित करता है।

निरंकारी प्रकाशन की पुस्तकें भी हैं प्रेरक
निरंकारी प्रकाशन की पुस्तकें भी जिज्ञासुओं की शंकाओं के समाधान में अहम भूमिका निभा रही हैं। अवतार वाणी, दिव्य गाथा, शहंशाह, गुरबचन, गुरुदेव हरदेव, विचार प्रवाह, कुलवंत, अंधकार से प्रकाश की ओर सहित तमाम पुस्तकें हर उम्र के पाठकों को प्रभावित कर रही हैं, वहीं पाक्षिक एक नजर और मासिक संत निरंकारी तथा बाल पत्रिका हंसती दुनिया तो अब सबकी पसंद बन गये हैं।

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