जबलपुर। महाकौशल के सबसे बड़े माल के रूप में जानेजाते समदडिय़ा मॉल की लीज निरस्त कर दी गई है। इस मामले में मध्यप्रदेश हाइकोर्ट ने सोमवार को अपना सुरक्षित रखा फैसला सुनाया। हाईकोर्ट ने माल को आवंटित अतिरिक्त जमीन की लीज भी रद्द कर दी। माल में तीन मंजिलों के अवैध निर्माण के लिए अब जेडीए जुर्माना वसूलेगी। इस प्रकरण में दुकानदारों को बिल्डर द्वारा जारी लीज भी अवैध घोषित की गई है। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के इस फैसले से संस्कारधानी में हडक़ंप मच गया है। समदडिय़ा मॉल लीज का प्रकरण लंबे समय विवादों में था। जेडीए बदले माल का नाम समदडिय़ा बिल्डर को हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने जबलपुर विकास प्राधिकरण द्वारा समदडिय़ा मॉल लीज निरस्तगी को जायज ठहराया है। इस मामले में 30 मई 2008 के समदडिय़ा बिल्डर को लीज जारी की गई थी । जेडीए द्वारा प्रोमोटर स्कीम के तहत ज़मीन की लीज दी गई थी। प्रोमोटर स्कीम के तहत दी गई इस लीज में कई खामियां पाई गई थी। गौरतलब है कि सिविक सेन्टर की बेशकीमती 41,179 स्क्वायर फ़ीट पर यह आलीशान मॉल बना है। कोर्ट के आदेश के बाद यह माल अब जेडीए के आधिपत्य में ही होगा। बिल्डर द्वारा मॉल के नामकरण पर भी आपत्ति जताई गई थी और अब इसका नया नाम जेडीए ही तय करेगा। गौरतलब है किनगरीय विकास एवं आवास विभाग प्रमुख सचिव द्वारा आदेश जारी कर शहर के बीचों-बीच स्थित मॉल की जमीन का पट्टा विलेख निरस्त कर दिया गया था। सरकार की ओर से मप्र हाईकोर्ट में पेश रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई थी। यह है मामला समदडिय़ा मॉल की जमीन आवंटन के खिलाफ याचिका दायर की गई थी। इसमें कहा गया है कि 20 जनवरी 2016 को जेडीए के तत्कालीन सीईओ अवध श्रोत्रिय ने मॉल के खिलाफ एक शिकायत को जांच के बाद सही पाया। अपनी इस जांच रिपोर्ट में उन्होंने मॉल को दी गई लीज निरस्त करने की अनुशंसा कर दी। इसके महज दो दिन के बाद ही श्रोत्रिय का तबादला कर दिया गया। याचिकाकर्ता की ओर से कोर्ट को बताया गया कि मॉल की तीन मंजिलें पूरी तरह अवैध हैं। श्रोत्रिय ने लीज आवंटन निरस्त करने का अनुमोदन किया था। वहीं बिल्डर्स की ओर से भी याचिका दायर कर लीज आवंटन निरस्त करने की अनुश्ंासा को चुनौती दी गई है। कहा गया कि बिल्डर्स ने सभी नियमों का पालन किया। सभी कानूनी अनुमतियां प्राप्त करने के बाद ही निर्माण किया गया।
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